Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो केस में दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज (18 अप्रैल) सुनवाई करेगा. गुजरात सरकार ने मामले में 11 दोषियों को रिहा करने का फैसला सुनाया था जिसे रद्द करने की मांग की गई है. 28 मार्च को जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने गुजरात सरकार को निर्देश दिया था कि वे बिलकिस बानो केस में तमाम दोषियों को छूट देने वाली रिलेवेंट फाइलों के साथ तैयार रहे.


साल 2002 में हुए गोधरा कांड के दौरान बिलकिस बानो से रेप किया गया था और उसके परिवार के लोगों की हत्या कर दी गई थी. लेकिन 15 अगस्त 2022 को गुजरात हाईकोर्ट ने दोषियों को समय से पहले ही रिहा कर दिया था. जिसके बाद बानो ने 30 नवंबर 2022 को इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए याचिका दायर की थी. 


बानो की वकील ने की थई नई बेंच बनाने की मांग
बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की थीं. जहां पहली याचिका में 11 दोषियों की रिहाई वाले फैसले का विरोध कर उन्हें दोबारा जेल भेजने की मांग की गई थी तो वहीं दूसरी याचिका में दोषियों की रिहाई पर गुजरात सरकार के फैसला करने पर आपत्ति जताई गई थी. बिलकिस का कहना था कि जब केस का ट्रायल महाराष्ट्र में चला था तो इसपर गुजरात सरकार फैसला कैसे ले सकती है? इस मामले को लेकर बानो के वकील शोभा गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कई बार नई बेंच बनाने के लिए अपील की थी. हालांकि मुख्य न्यायाधीश ने इसपर गुस्सा जाहिर किया था और कहा थी कि इस मामले की सुनवाई में वक्त लगेगा.


क्या है पूरा मामला?
साल 2002 में गुजरात में हुए गोधरा कांड के बाद प्रदेश में दंगे भड़क गए थे. दंगाई बिलकिस बानो के घर में घुस गए थे जिनसे बचने के लिए बानो अपने परिवार के साथ एक खेत में छिपकर बैठ गई थी. इस दौरान दंगाईयों ने 21 साल की बिलकिस जो 5 महीने की गर्भवती थी, उसके साथ गैंगरेप किया. उन दंगाईयों ने उसकी मां समेत तीन और महिलाओं के साथ भी दुष्कर्म किया और परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी. इस दौरान बानो के परिवार के 6 सदस्य भी गायब हो गए जिनका कभी पता नहीं चल सका. इसके बाद गैंगरेप के आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया. वहीं 2008 में CBI की स्पेशल कोर्ट ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा दी थी. लेकिन गुजरात हाईकोर्ट ने उन्हें समय से पहले ही 15 अगस्त को रिहा कर दिया.


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