'दो हफ्ते में सरेंडर करें...', बिलकिस बानो केस में SC ने दोषियों की सजा माफी रद्द करते हुए क्या-क्या कहा? 10 Points
सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो केस में गुजरात सरकार के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें 11 दोषियों की सजा माफ की गई थी. कोर्ट ने दो हफ्तों में दोषियों को सरेंडर करने के लिए कहा है.
गुजरात के चर्चित बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (08 जनवरी 2024) को अहम फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों को बरी करने के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया. इतना ही नहीं SC ने कहा कि भौतिक तथ्यों को दबाकर और भ्रामक तथ्य बनाकर दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट से गुजरात राज्य को माफी पर विचार करने का निर्देश देने की मांग की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या क्या कहा?
1- सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों को दी गई छूट को इस आधार पर खारिज कर दिया कि गुजरात सरकार के पास सजा में छूट देने का कोई अधिकार नहीं था.
2- SC ने बिलकिस बानो केस में दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिकाओं को सुनवाई योग्य माना.
3- SC ने कहा, 13 मई 2022 के जिस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को रिहाई पर विचार के लिए कहा था, वह दोषियों ने भौतिक तथ्यों को दबाकर और भ्रामक तथ्य बनाकर हासिल किया था.
4- जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि अपराधियों को सजा इसलिए दी जाती है, ताकि भविष्य में अपराध रुकें.
5- जस्टिस नागरत्ना ने अपने फैसले में कहा कि अपराधी को सुधरने का मौका दिया जाता है. लेकिन पीड़िता की तकलीफ का भी एहसास होना चाहिए.
6- SC ने कहा, हमने कानूनी लिहाज से मामले को परखा है. पीड़िता की याचिका को हमने सुनवाई योग्य माना है. इसी मामले में जो जनहित याचिकाएं दाखिल हुई हैं, हम उनके सुनवाई योग्य होने या न होने पर टिप्पणी नहीं कर रहे.
7- सर्वोच्च अदालत ने कहा, जिस कोर्ट में मुकदमा चला था, रिहाई पर फैसले से पहले गुजरात सरकार को उसकी राय लेनी चाहिए थी
8- SC ने कहा, जिस राज्य में आरोपियों को सजा मिली, उसे ही रिहाई पर फैसला लेना चाहिए था. दोषियों को महाराष्ट्र में सजा मिली थी. इस आधार पर रिहाई का आदेश निरस्त हो जाता है.
9- कोर्ट ने कहा, यह एक ऐसा मामला है जहां इस अदालत के आदेश का इस्तेमाल छूट देकर कानून के शासन का उल्लंघन करने के लिए किया गया था.
10- सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हमारा मानना है कि इन दोषियों को स्वतंत्रता से वंचित करना उचित है. एक बार उन्हें दोषी ठहराए जाने और जेल में डाल दिए जाने के बाद उन्होंने अपनी स्वतंत्रता का अधिकार खो दिया है. साथ ही, यदि वे दोबारा सजा में छूट चाहते हैं तो यह जरूरी है कि उन्हें जेल में रहना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने सभी 11 दोषियों को 2 हफ्ते में सरेंडर करने के लिए कहा है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, 2002 में गुजरात में गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कोच को जला दिया गया था. इसके बाद गुजरात में दंगे फैल गए थे. इन दंगों की चपेट में बिलकिस बानो का परिवार भी आ गया था. मार्च 2002 में भीड़ ने बिलकिस बानो के साथ रेप किया था. तब बिलकिस 5 महीने की गर्भवती थीं. इतना ही नहीं, भीड़ ने उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या भी कर दी थी. बाकी 6 सदस्य वहां से भाग गए थे.
- कई सालों की सुनवाई के बाद सीबीआई कोर्ट ने 11 को दोषी ठहराया था और उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इनमें से एक दोषी ने गुजरात हाईकोर्ट में अपील दायर कर रिमिशन पॉलिसी के तहत उसे रिहा करने की मांग की थी. गुजरात हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया. इसके बाद दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गुजरात सरकार से फैसला लेने के लिए कहा था. इसके बाद गुजरात सरकार ने रिहाई पर फैसला करने के लिए कमेटी का गठन किया था. कमेटी की सिफारिश पर गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया था.
ये आरोपी हुए थे रिहा
जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राध्येशम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहनिया, प्रदीप मोर्दहिया, बकाभाई वोहनिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदना. जेल में 15 साल गुजारने के साथ-साथ कैद के दौरान उनकी उम्र और व्यवहार को ध्यान में रखते हुए उन्हें 15 अगस्त, 2022 को रिहा कर दिया गया था. बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सभी 11 दोषियों को जेल जाना पड़ेगा.