Swati Maliwal: 'जब अदालत से ही नहीं मिलेगा न्याय तो लोग कहां जाएंगे लोग', बिलकिस बानो की याचिका खारिज होन पर बोलीं स्वाति मालीवाल
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने बानो की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें मामले के दोषियों की सजा माफ करने की अर्जी पर गुजरात सरकार से विचार करने के लिए शीर्ष अदालत का अनुरोध किया गया था.
Swati Maliwal On Bilkis Bano Case: दिल्ली महिला आयोग (Delhi Commission for Women) की प्रमुख स्वाति मालीवाल (Swati Maliwal ) ने बिलकिस बानो की पुनरीक्षण याचिका सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से खारिज कर दिए जाने के बाद शनिवार को सवाल किया. उन्होंने कहा, यदि लोगों को शीर्ष अदालत से भी न्याय नहीं मिलेगा तो वे कहां जाएंगे? बिलकिस बानो 2002 में गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई थीं और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी.
न्यायालय ने बानो की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें सामूहिक बलात्कार मामले के 11 दोषियों की सजा माफ करने की अर्जी पर गुजरात सरकार से विचार करने के लिए शीर्ष अदालत के आदेश को अच्छी तरह देखने का अनुरोध किया गया था. मालीवाल ने ट्वीट किया, "उच्चतम न्यायालय ने बिलकिस बानो की याचिका खारिज कर दी. बिलकिस बानो के साथ 21 साल की उम्र में सामूहिक बलात्कार किया गया था. अगर उच्चतम न्यायालय से भी न्याय नहीं मिलेगा, तो लोग कहां जाएंगे?"
सुप्रीम कोर्ट ने बिलक़िस बानो की अर्ज़ी ख़ारिज कर दी। बिलक़िस बानो का 21 साल की उम्र में गैंग रेप किया गया, उसके 3 साल के बेटे & 6 परिवार वालों का क़त्ल कर दिया गया, पर गुजरात सरकार ने उसके सभी रेपिस्ट को आज़ाद कर दिया। अगर सुप्रीम कोर्ट से भी न्याय नहीं मिलेगा, तो कहाँ जाएँगे?
— Swati Maliwal (@SwatiJaiHind) December 17, 2022
न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका को किया खारिज
प्रक्रिया के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका पर फैसला संबंधित निर्णय सुनाने वाले अपने कमरे में करते हैं. कमरे में विचार करने के लिए यह याचिका 13 दिसंबर को जस्टिस अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की बेंच के सामने आई थी. शीर्ष अदालत के असिस्टेंट रजिस्ट्रार ने बानो की वकील शोभा गुप्ता को भेजे गए मैसेज में कहा गया है, मुझे आपको यह सूचित करने का निर्देश दिया गया है कि उच्चतम न्यायालय में दायर उक्त पुनरीक्षण याचिका 13 दिसंबर 2022 को खारिज कर दी गई है. सुप्रीम अदालत ने गुजरात सरकार से नौ जुलाई, 1992 की नीति के तहत दोषियों की समय से पहले रिहाई की याचिका पर दो महीने के भीतर विचार करने को कहा था. गुजरात सरकार ने अपनी नीति के तहत मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को रिहा करने की अनुमति दी. 15 अगस्त को गोधरा उपजेल से सभी आरोपी बाहर निकले. बता दें वे जेल में 15 साल से ज्यादा समय पूरा कर चुके थे.
क्या है पूरा मामला?
27 फरवरी 2002 को गुजरात में स्थित गोधरा शहर में एक ट्रेन के एस 6 कोच को जला दिया गया था. इस ट्रेन से कारसेवक अयोध्या से लौट रहे थे. रिपोर्ट्स के अनुसार, कोच में बैठे 59 कारसेवकों की जलकर मौत हो गई थी, जिसके बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे. दंगों से बचने के लिए बिलकिस बानो अपनी बच्ची और परिवार के साथ गांव छोड़कर चली गई थीं. बिलकिस 3 मार्च 2002 को जहां अपने परिवार के साथ छुपी थी, वहां पर कुछ लोगों ने पहुंचकर हमला कर दिया था. दंगाइयों ने बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप भी किया था. तब बिलकिस की उम्र 21 साल थी और वे 5 महीने की गर्भवती थीं.