'फैसला भविष्य के लिए एक मिसाल बनेगा', बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोले मौलाना अरशद मदनी
Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार की ओर से 11 दोषियों की दी गई सजा में छूट रद्द कर दी है. जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है.
Bilkis Bano Case Verdict: बिलकिस बानो केस में सोमवार (8 जनवरी) को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने प्रतिक्रिया देते हुए उनकी संस्था की ओर से लड़े जा रहे मामलों को लेकर उम्मीद जताई है. मौलाना मदनी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि यह फैसला भविष्य के लिए एक मिसाल बनेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (8 जनवरी) को बिलकिस बानो से गैंगरेप और उनके परिवार के सात लोगों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को सजा में छूट देने के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया. कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकार का आदेश घिसा-पिटा और बगैर सोचे-समझे पारित किया गया था.
इस फैसले को लेकर मौलाना मदनी ने सुप्रीम कोर्ट की जमकर तारीफ की है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की गरिमा और सर्वोच्चा एक बार फिर सुनिश्चत हुई है. साथ ही कहा कि आम नागरिकों, विशेषकर अल्पसंख्यकों का शीर्ष अदालत को लेकर विश्वास मजबूत होगा.
क्या कुछ बोले मौलाना अरशद मदनी?
दिल्ली में जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रेस फजलुर रहमान कासमी ने मौलाना मदनी के हवाले एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ''इस निर्णय ने न्याय का सर बुलंद किया.'' प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, ''जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने बिलकिस बानो गैंग रेप मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है और इसे अनुकरणीय और दूरगामी फैसला बताते हुए कहा है कि उम्मीद है कि ये फैसला भविष्य के लिए एक मिसाल बनेगा.''
इसमें कहा गया, ''बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को नजरअंदाज करते हुए गुजरात सरकार ने 15 अगस्त, 2022 को सभी ग्यारह दोषी अपराधियों की सजा माफ कर दी, इससे न्याय पर गहरा आघात हुआ और देश के न्याय प्रिय लोगों में चिंता की लहर फैल गई. अगर सरकारें इसी तरह अपने राजनीतिक फायदे के लिए अदालत द्वारा दोषी पाए गए अपराधियों की सजा माफ करने लगें तो देश में कानून और न्याय की स्थिति क्या होगी?''
'अल्पसंख्यकों का सुप्रीम कोर्ट के प्रति विश्वास मजबूत होगा'
विज्ञप्ति में आगे कहा गया, ''इस निर्णय से एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट की गरिमा और सर्वोच्चता सुनिश्चित हुई है, इससे देश के आम नागरिकों खासकर अल्पसंख्यकों का सुप्रीम कोर्ट के प्रति विश्वास मजबूत होगा. इस बात पर बहस चल रही थी कि क्या राज्य सरकार ऐसा करने के लिए अधिकृत है, उस समय गुजरात सरकार द्वारा इसका कोई जवाब नहीं दिया गया था, लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि गुजरात सरकार उन्हें माफ करने और रिहा करने के लिए अधिकृत नहीं है.''
इसमें कहा गया, ''उन्होंने (मौलाना मदनी) कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद अनगिनत केस लड़ रही है और इस अनुभव के आधार पर हम कहते हैं कि अब न्याय के लिए अदालतें ही एक मात्र सहारा हैं. जहां से मजलूमों को न्याय मिल सकता है. मैं उन लोगों को बधाई देना चाहता हूं जिन्होंने इस मामले को उठाया. डर और भय के माहौल में भी सुप्रीम कोर्ट तक जाकर मजबूती के साथ कानूनी लड़ाई लड़ी और न्याय पाया.''
बता दें कि गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान बिल्किस बानो के साथ अपराध को अंजाम दिया गया था. 15 अगस्त 2022 को बिलकिस के दोषी सजा में छूट के बाद रिहा हुए थे. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि 11 दोषियों को दो हफ्ते के भीतर वापस जेल भेजा जाए.
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