Bilkis Bano: बिलकिस बानो मामले के दोषियों की रिहाई पर कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने बुधवार को प्रेस कांन्फ्रेंस की है. पवन खेड़ा प्रेस कांन्फ्रेंस में गुजरात की बीजेपी सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा, "यह रिहाई न्यायपालिका का निर्णय नहीं, बल्कि सरकार का निर्णय है. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को 3 महीने के अंदर निर्णय लेने का आदेश दिया था. निर्णय क्या होना चाहिए इसका कोई जिक्र नहीं था. 1992 की रिहाई की नीति वेबसाइट पर ही नहीं है, क्योंकि यह नीति जिसके पीछे छुपकर रिहाई की, वो नीति 8 मई 2013 को तत्कालीन मोदी सरकार ने खत्म किया था. ऐसी नीति जो है ही नहीं उसके आधार पर 11 दोषियों की रिहाई कर दी गई."
निर्णय अकेले राज्य सरकार कर ही नहीं सकती
पवन खेड़ा ने आगे कहा, जब जांच सीबीआई ने की तो उसमें रिहाई का निर्णय अकेले राज्य सरकार कर ही नहीं सकती. उन्होंने कहा, "सीआरपीसी के सेक्शन 345 के मुताबिक, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से जानना चाहते हैं की क्या रिहाई से पहले आप से अनुमति ली थी? अगर नहीं तो गुजरात के मुख्यमंत्री के खिलाफ इस गैर कानूनी काम को अंजाम देने के लिए क्या एक्शन लेने वाले हैं?"
आम आदमी पार्टी की चुप्पी पर सवाल?
पवन खेड़ा ने गुजरात के मुख्यमंत्री ये सवाल पूछते हुए कहा, " गुजरात के मुख्यमंत्री बताएं कि जेल एडवाइजरी कमेटी के सदस्य कौन-कौन हैं, जिन्होंने ये अनुशंसा की थी? ये कब आई? 8 मई 2013 को नए शासनादेश की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी थी? निर्भया के केस में मांग करने वाले आज चुप क्यों हैं, बाकी विपक्षी दल चुप क्यों हैं?" बिल्किस बानो मामले में आम आदमी पार्टी की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए बिना नाम लिए कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि जो दल निर्भया के वक्त आंदोलन कर रहे थे वो इस मामले पर चुप क्यों हैं?