Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो गैंगरेप केस का एक दोषी सरेंडर करने के 15 दिन बाद आया बाहर, जानें क्यों मिली पैरोल
Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो केस के 11 दोषियों में से एक प्रदीप मोधिया ने गुजरात हाई कोर्ट से 30 दिन की पैरोल मांगी थी, अदालत ने उसे 5 दिन की पैरोल दी है और वह अभी जेल से बाहर है.
Bilkis Bano Gangrape Case: बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में 11 दोषियों में से एक सरेंडर करने के 15 दिन बाद पांच दिन की पैरोल पर बाहर आया है. बुधवार (7 फरवरी) को दोषी प्रदीप मोधिया अपने ससुर की मौत के बाद गुजरात हाई कोर्ट की ओर से दी गई पांच दिन की पैरोल पर जेल से बाहर निकला और दाहोद जिले के अपने पैतृक गांव रंधिकपुर पहुंचा.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 21 जनवरी को सभी 11 दोषियों ने गोधरा उप-जेल में आत्मसमर्पण किया था. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस एम. आर. मेंगडे की अदालत ने 5 फरवरी को मोधिया को 7 से 11 फरवरी तक पैरोल की अनुमति दी थी. मोधिया की ओर से 31 जनवरी को दायर की गई याचिका में कहा गया था कि ससुर की मौत के कारण उसे 30 दिन की पैरोल दी जाए.
मोधिया ने मांगी थी 30 दिन की पैरोल
अभियोजन पक्ष ने गुजरात हाई कोर्ट को बताया था कि जेल रिकॉर्ड के अनुसार, जब मोधिया को आखिरी बार पैरोल पर रिहा किया गया था तो वह तय समय पर लौट आया था. इसके अलावा जेल में भी उसका आचरण अच्छा है. हालांकि अदालत ने उसे पांच दिन की ही पैरोल दी. गुरुवार सुबह मोधिया को स्थानीय निवासियों ने रंधिकपुर बाजार में काम करते देखा. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एक ग्रामीण ने बताया, "मोधिया के ससुर का जनवरी के आखिरी सप्ताह में रंधिकपुर से लगभग 32 किमी दूर लिमडी में निधन हो गया था. वह बुधवार देर रात गांव पहुंचा था और गुरुवार को गांव से आ गया था.
थाने में रोज रिपोर्ट करने की बाध्यता नहीं
दाहोद के लिमखेड़ा की एसपी विशाखा जैन ने बताया, “हाई कोर्ट ने दोषी मोधिया को पैरोल दी है और वह पांच दिनों के लिए अपने गांव लौटा है. पैरोल शर्तों के अनुसार, उसे रंधिकपुर पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करने की आवश्यकता नहीं है. पैरोल अवधि के दौरान जिला पुलिस की कोई भूमिका नहीं है. उम्मीद है कि वह खुद ही जेल लौट आएगा.''
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