नई दिल्ली : गुजरात की सामूहिक दुष्कर्म की शिकार पीड़िता बिलकिस बानो ने निर्भया सामूहिक दुष्कर्म मामले से अपने मामले की तुलना को नकार दिया. उन्होंने कहा कि वे बंबई उच्च न्यायालय द्वारा दोषियों को मृत्युदंड न दिए जाने के फैसले से संतुष्ट हैं. साथ ही उनका कहना था कि वे न्याय चाहती हैं, बदला नहीं.


19 वर्षीया गर्भवती बिलकिस के साथ पुरुषों के एक समूह ने बर्बरता की


गुजरात में 2002 में हुए दंगों के दौरान 19 वर्षीया गर्भवती बिलकिस के साथ पुरुषों के एक समूह ने बर्बरता की. उनकी आंखों के सामने उनके परिवार के सभी सदस्यों की हत्या कर दी थी. बंबई उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा दिए जाने के फैसले को कायम रखते हुए चार मई को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की उस याचिका को खारिज कर दिया.


दोषियों के लिए मौत की सजा की मांग की गई थी


जिसमें दोषियों के लिए मौत की सजा की मांग की गई थी. राष्ट्रीय राजधानी में बिलकिस ने पत्रकारों से कहा कि वह अपने मामले में उच्च न्यायालय के फैसले से संतुष्ट हैं. बिलकिस ने कहा, "मैं अदालत के फैसले से पूरी तरह संतुष्ट हूं. मैंने जो झेला उसके लिए अधिकतम सजा होनी ही चाहिए. लेकिन मैं नहीं चाहती कि मेरे नाम पर किसी और की जान ली जाए. मैं न्याय चाहती हूं, बदला नहीं."


पांच पुलिसकर्मियों को बरी किए जाने के फैसले को खारिज कर दिया


बिलकिस ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा जिन पांच पुलिसकर्मियों को बरी किए जाने के फैसले को खारिज कर दिया है, उन्हें भी कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए. पुलिसकर्मियों के खिलाफ अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फिल्मकार सोनाली बोस ने गुजरात दंगों के मुख्य साजिशकर्ता को भी दंडित किए जाने की मांग उठाई.


असली न्याय तब होगा जब गुजरात दंगों के मुख्य साजिशकर्ता को सजा दी जाए


सोनाली ने कहा, "ये पांचों पुलिसकर्मी उन दंगों के सिर्फ मोहरे हैं. अदालत द्वारा उन्हें दी गई सजा तो मात्र संदेश है, लेकिन असली न्याय तब होगा जब गुजरात दंगों के मुख्य साजिशकर्ता को सजा दी जाए."