भुवनेश्वर: बीजेपी और कांग्रेस के कड़े विरोध के बीच, ओडिशा आवश्यक सेवा (रख-रखाव) अधिनियम संशोधन विधेयक सोमवार को विधानसभा में पारित हो गया. जिसमें हड़ताल करने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है.


दंडात्मक प्रावधानों के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने किया विरोध


मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की ओर से गृह राज्य मंत्री डीएस मिश्रा के सदन में पेश किए गए विधेयक का बीजेपी और कांग्रेस के सदस्यों ने उसके दंडात्मक प्रावधानों के लिए विरोध किया. विधेयक में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को अवैध हड़तालों के लिए उकसाने और उसे फंडिंग करते हुए पाया जाता है, तो उसे कारावास की सजा होगी, जो एक वर्ष तक की हो सकती है और/या 5,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.


किसी भी व्यक्ति के हड़ताल पर रोक लगाने का भी प्रावधान है


इसके अलावा, नए कानून में दमकल सेवा विभाग, आबकारी विभाग, वन विभाग, कारागार, सुधार और इलेक्ट्रॉनिक्स समेत कई आवश्यक सेवा वाले विभागों में कार्यरत किसी भी व्यक्ति के हड़ताल पर रोक लगाने का भी प्रावधान है. विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, विधेयक के पारित होने के बाद कर्मचारियों द्वारा बुलाई गई किसी भी हड़ताल को अवैध माना जाएगा.


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