देश में वैक्सीन की डिमांड को पूरा करने के लिए भारत सरकार ने हैदरावाद की एक प्रतिष्ठित कंपनी बायलॉजिकल-ई (Biological E) को 1500 करोड़ रुपये एडवांस में दे दिया है. Biological E का टीका अगस्त से लोगों को मिलना शुरू हो जाएगा. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी है. मंत्रालय के मुताबिक सरकार ने बॉयोलॉजिकल-ई द्वारा तैयार किए जा रहे इस टीके की 30 करोड़ खुराक खरीदने का फैसला कर लिया है. कंपनी अगस्त से दिसंबर के बीच टीके की 30 करोड़ खुराकों की आपूर्ति करेगी. इस प्रकार अगस्त से प्रतिमाह छह करोड़ अतिरिक्त टीके लोगों को उपलब्ध होंगे.
डार्क हॉर्स कंपनी साबित होगी बायोलॉजिक-ई
बायलॉजिकल ई कंपनी की साख बहुत अच्छी है. कंपनी पहले से ही जॉनसन एंड जॉनसन सहित चार वैक्सीन के साथ काम कर रही है. इन चारों वैक्सीन पर की गई रिसर्च इसकी अपनी वैक्सीन पर काम आएगी. इसलिए फोर्ब्स पत्रिका ने इसे भारत का डार्क हॉर्स (अप्रत्याशित विजेता) बताया है. पत्रिका ने दिसंबर 2020 के अंक में लिखा था वैक्सीन निर्माण के क्षेत्र में कंपनी ने अपने अथक प्रय़ास से बेहतरीन काम किया है.
एक जून की कंपनी ने अपने वक्तव्य में कहा था कि बायोलॉजिक ई कनाडा की एक कंपनी Providence Therapeutics Holdings के साथ साझेदारी की है जो भारत में mRNA vaccines निर्माण के लिए तकनीकी हस्तांतरित करेगी. कंपनी का लक्ष्य एक अरब वैक्सीन निर्माण का है. कंपनी 2022 तक 60 करोड़ वैक्सीन तैयार कर लेगी.
तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को बयान जारी कर बताया कि बॉयोलॉजिकल-ई की कोविड-19 वैक्सीन इस समय तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल से गुजर रही है. पहले और दूसरे क्लीनिकल ट्रायल में बेहतर नतीजे मिले थे. वैक्सीन को बॉयोलॉजिकल-ई ने mRNA तकनीकी पर विकसित किया है, जो आरबीडी प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन है. संभावना है कि जून-जुलाई के दौरान इसके परीक्षण पूरे हो जाएंगे और सरकारी नियामक की मंजूरी भी मिल जाएगी. इसके बाद अगस्त से इसका टीकाकरण में इस्तेमाल शुरू हो जाएगा.
भारत सरकार शुरुआत से इस कंपनी के साथ संपर्क में थी और कंपनी को टीका बनाने के लिए हरसंभव मदद भी दी थी. मंत्रालय ने कहा कि सरकार इस टीके को प्री क्लीनिकल चरण से लेकर तीसरे चरण तक के अध्ययन तक समर्थन देती आ रही है. जैव प्रौद्यौगिकी विभाग ने न सिर्फ 100 करोड़ रुपये के अनुदान के रूप में वित्तीय सहायता दी है, बल्कि विभाग बायोलॉजिकल-ई के साथ तकनीकी साझेदारी भी कर रहा है. वैक्सीन सम्बंधी जंतुओं पर प्रयोग और अध्ययन का काम ट्रांसलेशनल स्वास्थ्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, फरीदाबाद के जरिए किया गया.
निजी क्षेत्र की पहली स्वदेसी वैक्सीन निर्माता कंपनी
Biological E हैदराबाद की प्रतिष्ठित कंपनी है जिसकी शुरुआत 1953 में डॉ डीवीके राजू ने की थी. शुरुआत में यह लीवर और एंटीकॉगलेंट्स से संबंधित दवाइय़ां बनाती थी. 1963 में इसने खून को जमने से रोकने के लिए हेपारिन बनाना शुरू किया और निजी क्षेत्र की पहली वैक्सीन निर्माता कंपनी बनी. तब से बायोलॉजिकल ई की साख देश-विदेश में मशहूर है. यह एंटी-टेटनस सीरम और Japanese Encephalitis के लिए वैक्सीन बनाती है. 2025 तक कंपनी देश की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी बनने का लक्ष्य रखी है. महिमा डाटला वर्तमान में कंपनी की मैनेजिंग डायरेक्टर हैं.
अब तक भारत में वैक्सीन की कहानी
सबसे पहले कोविड-19 के लिए देश में सीएम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का टीका कोवीशील्ड उपलब्ध हुआ. उसके बाद भारत बायोटेक ने कोवैक्सिन उपलब्ध कराया. भारत में सबसे पहली विदेशी वैक्सीन स्पूतनिक आई और अब जुलाई में फाइजर की वैक्सीन भी उपलब्ध हो जाएगी. अगस्त से भारत को पांचवी वैक्सीन बायोलॉजिकल ई की मिलेगी. अगस्त से देश में स्पूतनिक टीके का भी निर्माण शुरू हो जाएगा. इस बीच सीएम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने स्पूतनिक टीके के उत्पादन के लिए लाइसेंस मांगा है. स्पूतनिक टीके को पांच कंपनियां देश में बनाने जा रही हैं. अब सीरम इंस्टीट्यूट ने भी इसमें दिचलस्पी दिखाई है.