नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने आर्मी चीफ बिपिन रावत को देश का पहला सीडीएस (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) नियुक्त किया है. सामाजिक न्याय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के मुताबिक बिपिन रावत इस पद पर नियुक्त हुए हैं. बिपिन रावत के इस पद पर नियुक्ति की चर्चा काफी जोरों पर थी. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद 15 अगस्त के भाषण के अवसर पर इस पद का एलान किया था. तभी से चर्चा चल रही थी कि इस पद पर बिपिन रावत की नियुक्ति होगी. सीडीएस का पद कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी यानी सीसीएस की मंजूरी के बाद हुई है. सीडीएस, रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत बनाए जाने वाले नए विभाग, डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री एफेयर्स के प्रमुख (सेक्रेटरी) होंगे. केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान, हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर, पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने उन्हें सीडीएस बनने पर बधाई दी है.
बता दें कि आर्मी चीफ बिपिन रावत 31 दिसंबर को रिटायर होने वाले हैं. खबरों के मुताबिक वह इसी दिन सीडीएस का पद संभाल सकते हैं. सीडीएस 65 साल की उम्र तक अपने पद पर रह सकते हैं. सीडीएस की नियुक्ति को लेकर विभिन्न समितियों ने सिफारिश की थी. इन्हीं को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार यह फैसला किया है.
सीडीएस के पास होगी ये शक्ति
सीडीएस फॉर स्टार जनरल होगा और वो रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले एक नए विभाग, डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री एफेयर्स के सेक्रेटरी के तौर पर काम करेंगे और सरकार (राजनैतिक नेतृत्व) को सैन्य मामलों पर सलाह देंगे. सरकार ने साफ कर दिया कि सीडीएस सीधे तौर से थलसेना, वायुसेना और नौसेना के कमांड और यूनिट्स को कंट्रोल नहीं करेंगे. लेकिन उनके अंतर्गत सेना के तीनों अंगों के साझा कमांड और डिवीजन होंगे.
फिलहाल अंडमान निकोबार कमांड ही ट्राई-सर्विस कमांड है जो अब सीडीएस के अंतर्गत काम करेगा. इसके अलावा, हाल ही में तीनों सेनाओं के स्पेशल फोर्सेंज़ की ऑपरेशन डिवीजन (आर्मर्ड फोर्सेज़ स्पेशल ऑपरेशन्स डिवीजन) और डिफेंस साईबर एजेंसी सहित स्पेस एजेंसी अब सीडीएस के मातहत काम करेगी.
सीडीएस सैन्य मामलों से जुड़े मुद्दे देखेंगे
पीएम की घोषणा के बाद ही सरकार ने एनएसए अजीत डोवाल के नेतृत्व में एक कमिटी बनाई थी जिसने 90 दिन के अंदर सीडीएस की भूमिका, चार्टर और सरकार में उसकी भूमिका पर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी. उसके बाद ही मंगलवार को सीडीएस के पद की घोषणा की गई. सीडीएस सरकार/रक्षा मंत्री का उन मामलों पर प्रिंसिपल मिलिट्री एडवाइजर होंगे जो तीनों सेनाओं से जुड़े हुए साझा मामले को देखेंगे.
तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ाना होगा मकसद
सीडीएस की नियुक्त का मकसद भारत के सामने आने वाली सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ाना है. सीडीएस तीनों सेनाओं के ऑपरेशन्स, लॉजिस्टिक, ट्रांसपोर्ट, ट्रेनिंग, कम्युनिशेंस इत्यादि के बीच एकीकरण का काम करेगें. साथ ही सेनाओं के आधुनिकिकरण में भी सीडीएस की मुख्य भूमिका होगी.
सीडीएस की सेनाओं के फाइव ईयर डिफेंस एक्युजेशन प्लान यानी सेनाओं के पांच साल के रक्षा बजट को भी लागू करने में अहम भूमिका होगी. भविष्य में सीडीएस तीनों सेनाओं के साझा 'थियेटर कमांड' बनाने में भी अहम भूमिका निभाएंगे. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी के सैन्य सलाहकार के रूप में भी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ काम करेंगे.
मोदी सरकार तीनों सेनाओं के एकीकरण पर जोर दे रही है
साल 2014 में बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणा-पत्र में सीडीएस बनाने को मुख्य तौर से अपने एजेंडे में रखा था. प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही नरेंद्र मोदी तीनों सेनाओं के एकीकरण पर जोर दे रहें हैं. साल 2015 में एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रमादित्य पर तीनों सेनाओं के सैन्य अधिकारियों के सम्मेलन, कम्बाइंड कंमार्डर्स कांफ्रेंस में पीएम मोदी ने एकीकरण को लेकर अपना विजन साफ कर दिया था. तभी से सीडीएस बनाने की तैयारियां शुरू हो गई थी. करगिल युद्ध के बाद बनी सुब्रमणयम कमेटी रिपोर्ट ने पहली बार देश में सीडीएस बनाए जाने की सिफारिश की थी.