Bipin Rawat Birth Anniversary: सीडीएस जनरल बिपिन रावत का अधूरा रह गया सपना, चीन-पाक के लिए खड़ी करना चाहते थे ये बड़ी मुश्किल
CDS Bipin Rawat: थल सेना, नौसेना और वायुसेना के कामकाज में एकरूपता लाने के लिए जनरल बिपिन रावत को भारत का पहले सीडीएस नियुक्त किया गया था.
Bipin Rawat Birth Anniversary: देश के पहले चीफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बिपिन रावत बेशक आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी बहादुरी और उनका खास मिशन थिएटर कमांड आज भी हमारे बीच जिंदा है. थिएटर कमांड जनरल बिपिन रावत का एक ऐसा मिशन था जो उनकी आकस्मिक मौत के बाद अधूरा रह गया था, लेकिन इसे पूरा करने की जिम्मेदारी नए सीडीएस अनिल चौहान निभा रहे हैं. आज बिपिन रावत के जन्मदिन के मौके पर हम आपको बताएंगे उनके इस खास अभियान के बारे में विस्तार से.
1 जनवरी 2020 को जनरल बिपिन रावत को थल सेना, नौसेना और भारतीय वायु सेना के कामकाज में एकरूपता लाने और देश के समग्र सैन्य कौशल को बढ़ाने के लिए भारत का पहले सीडीएस नियुक्त किया गया था. इस जिम्मेदारी के साथ रावत का एक अन्य प्रमुख उद्देश्य सैन्य कमानों के पुनर्गठन की सुविधा प्रदान करना था जिसके तहत थिएटर कमांड की स्थापना शामिल है.
क्या है थिएटर कमांड और कैसे करता है काम
थिएटर कमांड का उद्देश्य भविष्य में आने वाली रक्षा चुनौतियों से मजबूती से निपटने के लिए तीनों सेनाओं को एक प्लेटफॉर्म पर लाना है. जनरल बिपिन रावत देश में चार थिएटर कमांड बनाने पर काम कर रहे थे. यह कमांड भविष्य में चीन और पाकिस्तान से भविष्य में आने वाले खतरों से निपटने में अहम साबित होगा. थिएटर कमांड का सबसे बेहतर इस्तेमाल युद्ध के दौरान होता है. क्योंकि युद्ध के समय ही तीनों सेना प्रमुखों के बीच में तालमेल की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, जिससे कि वो सामने आने वाली कठिन चुनौतियों से निपट सकें. थिएटर कमांड के बीच में बनी रणनीतियों के मुताबिक दुश्मन देश पर अचूक वार करना आसान हो जाता है. वहीं तीनों सेनाओं के संसाधनों और हथियारों का इस्तेमाल एक साथ किया जा सकता है.
इसलिए पड़ी थिएटर कमांड की जरूरत
सन 1999 में कारगिल युद्ध के बाद बनी समितियों ने थिएटर कमांड और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद बनाने के सुझाव दिए थे. कारगिल की लड़ाई के बाद ही तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ाने की बात सामने आने लगी थी. थिएटर कमांड के अंतर्गत आने के बाद तीनों सेनाएं एक साथ मिलकर काम करेंगी. जिससे सबको एक साथ कमांड में लाने पर सैन्य बलों के आधुनिकीकरण का खर्च कम होगा. वहीं किसी भी आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सिर्फ एक ही सेना नहीं करेगी बल्कि उस कमांड में शामिल सभी सैन्य बलों को उसका लाभ मिलेगा.
चीन, रूस और अमेरिका में है यह सिस्टम
चीन, रूस और अमेरिका में थिएटर कमांड सिस्टम पहले से है. इस कमांड के तहत ही इन देशों की थल, वायु और नौसेना एक साथ मिलकर काम करती हैं. इसके तहत आने पर तीनों सेनाओं की अलग-अलग कमांड नहीं होती है. अमेरिका में कुल मिलाकर 11 थिएटर कमांड हैं, इनमें से 6 पूरी दुनिया को कवर करते हैं. रूस के पास 4 थिएटर कमांड हैं, वहीं चीन के पास 5 थिएटर कमांड हैं. चीन अपनी पश्चिमी थिएटर कमांड के जरिए भारत की सीमा पर निगरानी करता है.
भारत में कुल 17 कमांड
भारत में तीनों सेनाओं को मिलाकर कुल अलग-अलग 19 कमांड हैं. जिसमें से 7 थल सेना, 7 वायुसेना और 3 नौसेना के पास हैं. वहीं इसके अलावा देश में एक स्ट्रैटेजिक कोर्सेज कमांड है जो परमाणु हथियारों को सुरक्षा देता और उन्हें संभालता है. इसने अलावा अंडमान निकोबार में देश का एकलौता थिएटर कमांड है, जिसकी स्थापना 2001 में की गई थी.
युद्ध के दौरान थिएटर कमांड
युद्ध के दौरान ऐसा देखा गया है कि अलग-अलग थिएटर कमांड होने की वजह से सेनाओं के एक्शन में दोहराव या ओवरलैपिंग होती है. वहीं संसाधनों के साथ-साथ मैनपावर भी ज्यादा इस्तेमाल होता है. जबकि आज के दौर में विकसित देश तकनीक का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. यही वजह थी कि बिपिन रावत अपने तीन साल के कार्यकाल के अंदर तीनों सेनाओं का पुनर्गठन करके थिएटर कमांड बनाना चाहते थे.
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