Bipin Rawat Death: जनरल बिपिन रावत की मौत से सदमे में देश, कौन होगा देश का अगला सीडीएस?
Bipin Rawat Death: देश की सेनाओं के सबसे बड़े अधिकारी के निधन के बाद अब चर्चा इस बात पर भी शुरू हो गयी है कि देश का अगला सीडीएस कौन होगा?
CDS Bipin Rawat Death: जनरल बिपिन रावत की मौत की खबर से सरकार और देश दोनों ही सदमे में है. इस दुर्घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार शाम सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक बुलाई. इसमें गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कमेटी के अन्य सदस्य शामिल हुए. दुर्घटना में शहीद हुए लोगों के लिए दो मिनट का मौन रख श्रद्धांजली दी गई.
देश की सेनाओं के सबसे बड़े अधिकारी के निधन के बाद अब चर्चा इस बात पर भी शुरू हो गयी है कि देश का अगला सीडीएस कौन होगा? वरिष्ठता के हिसाब से जनरल एमएम नरवणे की दावेदारी सबसे मजबूत दिख रही है. तीनों सेना प्रमुखों में से सबसे सीनियर और अनुभवी व्यक्ति को चुना जा सकता है, ऐसे में नौ सेना अधिकारी एडमिरल करमवीर सिंह सबसे जूनियर हैं तो बचे थल सेना और वायुसेना के प्रमुख, थल सेना प्रमुख जनरल मुकुंद नरवणे और वायु सेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल विवेक राम चौधरी हैं. इन दोनों में भी अगर अनुभव और सीनियॉरिटी देखें तो एमएम नरवणे की दावेदारी सबसे पुख्ता लगती है. नरवणे 60 साल के हो चुके है, उन्हें जनरल बिपिन रावत के बाद सेना प्रमुख नियुक्त किया गया था, नरवणे मिलिट्री वारफेयर के सबसे बड़े जानकार हैं.
जनरल नरवणे मौजूदा समय में सेना प्रमुख हैं. इसके पहले वो सेना के उत्तरी कमांड के प्रमुख थे, सेना में अपने 4 दशक के कार्यकाल में नरवणे ने कई चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारियों को संभाला है. उन्होंने कश्मीर से लेकर नॉर्थ-ईस्ट राज्यों में अपनी तैनाती के दौरान आतंकी गतिविधियों को रोकने में अहम भूमिका निभाई है. नरवणे श्रीलंका में 1987 के दौरान चलाए गए ऑपरेशन पवन में पीस कीपिंग फोर्स का हिस्सा रह चुके हैं. जनरल एमएम नरवणे ने 1 सितंबर को भारतीय सेना के उप प्रमुख का पदभार ग्रहण किया था.
आपको बता दें कि भारत में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद सृजित करने की सिफारिश साल 2001 में मंत्रियों के एक समूह ने की थी. यह जीओएम कारगिल समीक्षा समिति 1999 की रिपोर्ट का अध्ययन कर रहा था. जीओएम की इस सिफारिश के बाद सरकार ने साल 2002 में इस पद को सृजित करने के लिए इंटीग्रेटिड डिफेंस स्टाफ बनाया, जिसे सीडीएस सचिवालय के तौर पर काम करना था. फिर दस साल बाद साल 2012 में सीडीएस को लेकर नरेश चंद्र समिति ने स्टाफ कमेटी के स्थायी अध्यक्ष को नियुक्त करने की सिफारिश की. इसके बाद से ही चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ पद के लिए पूरा मसौदा तैयार करने की कवायद चल रही थी, जिसे साल 2014 के बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने तेज कर दिया.
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने साल 2019 में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी सीडीएस का पद सृजित कर दिया. भारतीय सेना के प्रमुख बिपिन रावत 30 दिसंबर 2019 को देश के पहले सीडीएस बनाए गए, तभी से वे इस पद पर रहकर कार्य कर रहे थे.
सीडीएस पद पर तैनात अधिकारी का वेतन और सुविधाएं अन्य सेना प्रमुखों के बराबर रखी गई हैं. किसी सेना प्रमुख को सीडीएस बनाए जाने पर आयु सीमा का नियम बाधा न बने, इसीलिये सीडीएस पद पर रहने वाले अधिकारी अधिकतम 65 वर्ष की आयु तक इस पद पर काम कर सकेंगे यानी अब सेना प्रमुख अधिकतम 62 वर्ष की आयु या 3 वर्ष के कार्यकाल तक अपने पद पर रह सकते हैं. इसके लिए केंद्र सरकार ने सेना के नियम 1954, नौसेना (अनुशासन और विविध प्रावधान) विनियम 1965, सेवा की शर्तें और विविध विनियम 1963 और वायु सेना विनियम 1964 में संशोधन भी किया था.
सेना के तीनों अंगों के मामले में रक्षा मंत्री के प्रमुख सैन्य सलाहकार के रूप में सीडीएस काम करते हैं. वह रक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की अध्यक्षता वाली रक्षा नियोजन समिति के सदस्य होते हैं. साथ ही सीडीएस परमाणु कमान प्राधिकरण के सैन्य सलाहकार भी होते हैं. एकीकृत क्षमता विकास योजना के तहत सीडीएस रक्षा से जुड़ी पूंजीगत अधिग्रहण पंचवर्षीय योजना और दो वर्षीय सतत् वार्षिक अधिग्रहण योजना को भी कार्यान्वित करते हैं.
खर्च कम करके सशस्त्र बलों की युद्ध क्षमता बढ़ाने और तीनों सेनाओं के कामकाज में सुधार लाने का काम भी सीडीएस की जिम्मेदारी है. सीडीएस रक्षा मंत्रालय के तहत बनाए गए सैन्य मामलों के विभाग के सचिव के रूप में कार्य करता है. डीएमए भारत की सशस्त्र सेना यानी थल सेना, नौसेना और वायु सेना के जुड़े मामलों पर एक साथ काम करता है. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी CDS पद से सेवानिवृत्त होने वाला शख्स किसी भी सरकारी पद को ग्रहण नहीं कर सकता. साथ ही उसे सेवानिवृत्ति के 5 वर्ष बाद तक भी बिना इजाजत कोई भी निजी रोज़गार करने का अधिकार नहीं होता.