CDS बनने जा रहे जनरल रावत बोले- सेना प्रमुख सिर्फ पद, सफलता टीम वर्क से मिलती है
बिपिन रावत आज सेना प्रमुख के पद से रिटायर हो गए लेकिन अब रावत सीडीएस की जिम्मेदारी मिलने जा रही है. रावत एक जनवरी से चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पदभार 1 जनवरी से यानी कल से संभालेंगे.
नई दिल्ली: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी सीडीएस बनाए जाने की घोषणा के बाद पहली बार मीडिया से बातचीत करते हुए नजर आए. इस दौरान जनरल बिपिन रावत ने कहा, "सेना में चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ सिर्फ एक ओहदा है, लेकिन चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ अकेले काम नहीं करता है. उसको अपना काम करने में कर्तव्य पूरा करने में जवानों और ओहदेदारों का सहयोग मिलता है, टीमवर्क से ही सफलता मिलती है."
थलसेना प्रमुख के तौर पर अपने आखिरी दिन राजधानी दिल्ली स्थित साऊथ ब्लॉक में सैनिकों की परेड की सलामी लेने के बाद जनरल बिपिन रावत मीडिया से बात कर रहे थे. अपने तीन साल के थलसेना प्रमुख के कार्यकाल के बाद मंगलवार को जनरल बिपिन रावत अपने पद से रिटायर हो गए, लेकिन सेना में उनकी सेवाएं सीडीएस के तौर पर जारी रहेंगी, क्योंकि सोमवार को ही सरकार ने उन्हें 31 दिसम्बर यानि मंगलवार से देश का पहला सीडीएस घोषित कर दिया था. हालांकि, इस दौरान उन्होनें कहा कि वे सीडीएस का पदभार बुधवार यानि 1 जनवरी से संभालेंगे.
इस दौरान रावत ने इस बात का दावा किया कि अब थलसेना चीन हो या पाकिस्तान सबसे लड़ने के लिए बेहतर तरीके से तैयार है. सेना के पुनर्गठन (रिस्ट्रकचरिंग), थलसेना के आधुनिकरण और नॉन-कंटेक्ट वॉरफेयर के लिए थलसेना को तैयार करना जनरल बिपिन रावत ने अपने तीन साल के कार्यकाल की उपलब्धियों के तौर पर गिनाईं.
वहीं उनकी सीडीएस की नियुक्ति को लेकर विवाद भी खड़ा होने लगा है. कांग्रेस के मनीष तिवारी ने सीडीएस को दी गई जिम्मेदारियों को लेकर सवाल खड़े किए तो अधीर रंजन चौधरी ने उनके सेनाप्रमुख के तौर पर उपलब्धियों और उनकी विचारधारा पर तंज कसा है, लेकिन सरकार की तरफ से बीजेपी सांसद और पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर ने ट्वीट करते हुए कहा कि तीनों सेना प्रमख (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) रक्षा ,सचिव से सीनियर होते हैं और सीडीएस सभी सेना प्रमुखों में फर्स्ट अमंग इक्युल हैं. साथ ही सीडीएस मिलिट्री एफयेर्स विभाग के प्रमुख भी हैं.
सीडीएस ने ये भी कहा, "बिपिन रावत केवल एक नाम है लेकिन बिपिन रावत का ओहदा तब बढ़ जाता है जब वो चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बन जाता है. और वो ये तभी कहलाता हे जब पूरी टीम उसके साथ काम करती है. चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ इंडियन आर्मी का होता है. सब मिलकर भारतीय सेना कहलाती है. उनकी सहायता ये सब कार्रवाई होती है. अकेला कोई कुछ नहीं कर सकता." परेड की सलामी लेने से पहले जनरल बिपिन रावत ने राष्ट्रीय समर स्मारक पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की. इसके बाद उन्होनें थलसेना की कमान जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे को सौंप दी.
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