बीरभूम हिंसा को लेकर जांच जारी है लेकिन इसमें मारे गए लोगों की जिंदगी अब वापस नहीं आ सकती. प्रदेश में इस हिंसा को लेकर सियासत भी हो रही है. इस बीच इस हिंसा के पीछे की कहानी में अवैध खनन का कारोबार भी जुड़ा है. आईए बताते हैं कि कैसे बीरभूम में अवैध रेत खनन का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. इस अवैध खनन ने दुश्मनी, हिंसा, हत्या, बंदूक रखने की संस्कृति और भ्रष्टाचार की प्रवृति को जन्म दिया है. इसका ताजा शिकार स्थानीय टीएमसी नेता भादू शेख थे जिन्हें कथित तौर पर नदी से बालू खनन के विवाद में मार दिया गया था. कथित तौर पर भादु शेख रामपुरहाट क्षेत्र में रेत और पत्थर के चिप्स के ट्रांसपोर्टरों से जबरन वसूली, अवैध रेत खनन और पत्थर उत्खनन में शामिल थे. बाद में कथित तौर पर बदले की भावना से रामपुरहाट शहर के 150 मीटर के दायरे में स्थित बोगटुई में किए गए हमले में 8 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे. एबीपी न्यूज ने वहां के स्थानीय निवासियों से बात की तो उन्होंने बताया कि पहले इतनी अवैध गतिविधियां यहां नहीं होती थीं. स्थानीय लोगों से इस बारे में पूछने पर ज्यादातर लोगों का कहना था वो अपने छोटे-मोटे कारोबार में व्यस्त रहते हैं और इस बारे में वो कुछ नहीं जानते हैं.
सीबीआई जांच की सराहना
टीएमसी के विधायक आशीष बनर्जी ने इस मामले में कहा कि हाईकोर्ट के निर्देश के तहत सीबीआई ने अपनी जांच शुरू कर दी है और हम इसकी सराहना करते हैं. हम चाहते हैं कि सीबीआई जल्द इससे पर्दा हटाए और सच्चाई का खुलासा करे. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी हाईकोर्ट के निर्देश की सराहना की है. निश्चित रूप से जो हुआ है वह एक दुखद घटना है और ऐसा नहीं होना चाहिए था. जिन लोगों की हत्या की गई वे भी टीएमसी के लोग हैं. जो घर जलाए गए हैं वो भी टीएमसी के लोगों के हैं. बीरभूम से यात्रा करते समय ये पाया गया कि सैकड़ों ट्रक सड़कों और राजमार्गों को अवरुद्ध कर रहे हैं जिससे गाड़ियों की आवाजाही में काफी देरी हो रही थी. भादू शेख बरशाल ग्राम पंचायत के उप प्रमुख थे जिसके तहत बोगतुई गांव भी आता है.
अवैध खनन का कारोबार
बीरभूम जिले में मयूराक्षी, बकरेस्वर, अजय और ब्राह्मणी नदियों के किनारे लगभग 80 अवैध रेत खदानें हैं. जहां से प्रभावशाली ताकतवरों के समर्थन से ये काला कारोबार संचालित किया जाता है. पैसे के बिना कोई भी ट्रक अंदर या बाहर नहीं जा सकता है. जो लोग अवैध कार्यों के खिलाफ आवाज उठाते हैं उन्हें परेशान किया जाता है. एबीपी संवाददाता ने अवैध खनन हो रहे एक नदी के पास भी दौरा किया. जहां कई मशीनें लगी हुईं थी. लोग आधी रात में या फिर सूर्यास्त होने के बाद ही यहां काम करते हैं. नदियों से रेत निकाली जाती और डंपिंग ग्राउंड बनाया जाता है. जेसीबी के जरिए रेत को दूसरे टीलों में स्टोर किया जाता है जहां से रेत की अवैध तरीके से बिक्री की जाती है. अवैध खनन के बारे में सभी स्थानीय लोग जानते हैं लेकिन इसका विरोध करने की हिम्मत किसी में भी नहीं है. ये भी सबको पता है कि प्रशासन इस अवैध धंधे का पूरा समर्थन करता है. ब्राह्मणी के रास्ते में राष्ट्रीय राजमार्ग -14 पर रेत या पत्थर लदे ट्रकों की लंबी कतार और जहां ड्राइवरों को लोगों के एक समूह को पैसे देते भी देखा जा सकता है.
पीड़ितों के जख्म कैसे भरेंगे?
एबीपी संवाददाता ने एक सेवानिवृत्त सरकारी स्कूल शिक्षक और रामपुरहाट से लगभग 48 किलोमीटर दूर केंदुली के निवासी बनेश्वर घोष से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि अवैध रेत खनन का पैटर्न छोटे पैमाने के व्यवसाय से बदलकर एक बड़े संगठित व्यवसाय के रूप में बदल गया है. दिनों दिन रेत की मांग बढ़ती जा रही है. रामपुरहाट हिंसा में शिकार हुए एक पीड़ित परिवार का कहना था कि वो गरीब आदमी हैं और उनका घर जला दिया गया. इस घटना में उनकी पत्नी की जान चली गई. पुलिस कोई जिम्मेदारी नहीं लेती. टीएमसी सरकार ने हमें बर्बाद कर दिया. पीड़ित के परिवार ने आरोप लगाया कि टीएमसी नेता भादू एक अपराधी था. CPI(M) के संजीब बरमन ने सत्तारूढ़ पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि यहां जो हुआ वो सभी को पता हैं. राज्य में नौकरी के अवसर नहीं हैं. उद्योग नहीं है. रामपुरहाट में रेत और पत्थर के अवैध धंधे धड़ल्ले से चल रहे हैं.
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