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Birsa Munda martyrdom day: बिरसा मुंडा एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे, जिनसे अंग्रेज़ थर्राते थे
आज ही के दिन स्वतंत्रता सेनानी व जननायक बिरसा मुंडा ने अपनी अंतिम सांस ली थी. लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला समेत कई नेताओं ने उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें याद किया.
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नई दिल्ली: आज ही के दिन स्वतंत्रता सेनानी व जननायक बिरसा मुंडा ने अपनी अंतिम सांस ली थी. अंग्रज़ों को लोहे के चने चबवाने वाले बिरसा की 09 जून, 1900 को महज़ 25 साल की उम्र में रहस्यमयी तरीके से रांची जेल में मौत हो गई थी. बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर, 1875 को छोटा नागपुर में मुंडा परिवार में हुआ था. मुंडा एक जनजातीय समूह था जो छोटा नागपुर पठार में निवास करते थे. 1897 में महज़ 22 साल की उम्र में बिरसा मुंडा ने उलगुलान(क्रांति) की शुरुआत की थी. इसके बाद वह स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े.
बिरसा मुंडा ने एक जर्मन मिशन स्कूल में पढ़ाई की, लेकिन कुछ सालों बाद ही उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी. बचपन में ही बिरसा ने आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ना शुरू कर दिया. उन्होंने 'बिरसाइत' नामक एक संप्रदाय की शुरूआत भी की. इसके बाद मुंडा और उरांव जनजातियों के कई लोग उनके आंदोलन में शामिल हुए.
इसके बाद 1886 में जब बिरसा को ब्रिटिश अत्याचारों के बारे में पता चला तो उन्होंने 1886 और 1890 के बीच चाईबासा में मिशन-विरोधी और स्थापना विरोधी गतिविधियों में भी भाग लिया। अंग्रेज़ी हुकूमत बिरसा की आज़ादी की मांग से डर गई थी और उन्होंने एक वक्त बिरसा को पकड़ने के लिए 500 रूपये का ईनाम भी रखा था. हालांकि, 1900 में अंग्रेज़ों ने बिरसा को पकड़ लिया और उन्हें दो साल के लिए जेल में भेज दिया. इसके बाद जेल में ही उनकी मौत हो गई. कई लोगों का कहना है कि अंग्रज़ों ने उन्हें जेल में ज़हर देकर मारा.
झारखंड में कई जातियों के लोग बिरसा मुंडा को भगवान की तरह पूजते हैं. आज भी उनकी पुण्यतिथि पर वहां उनकी प्रतिमा पर कई लोगों ने उनकी पूजा की. 15 नवंबर 2000 को उनकी जयंती पर ही झारखंड को बिहार से अलग किया गया था।
लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने दी बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि
बिरसा की पुण्यतिथि पर लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. ओम बिड़ला ने ट्वीट कर कहा, "मेहनतकश जनता के पूज्य मसीहा, स्वतंत्रता सेनानी और आदिवासी नेता बिरसा मुंडा जी को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि।"
Humble tributes to reverred messiah of toiling masses, freedom fighter & tribal leader, Birsa Munda ji on his death anniversary. He spearheaded the tribal movement for freedom from tyranny & subjugation. His life continues to inspire us.#BirsaMunda pic.twitter.com/tncGnPdFEB
— Lok Sabha Speaker (@loksabhaspeaker) June 9, 2020
सीपीआई-एम के नेता मोहम्मद सलीम ने भी बिरसा मुंडा को किया याद
सीपीआई-एम के नेता मोहम्मद सलीम ने भी आज बिरसा मुंडा को याद किया. उन्होंने ट्वीट किया, "स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा को याद करते हुए, जिन्होंने बहादुरी से औपनिवेशिक शासन के अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी ... उन्होंने जल (जल), जंगल (जंगलों) और जमीं (ज़मीन) के महत्व की नींव आदिवासी बिरादरी के बीच रखी।"
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— Md Salim (@salimdotcomrade) June 9, 2020
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