भारत के राष्ट्रीय-गीत 'वंदे मातरम' के रचयिता बंकिम चंद्र चटोपाध्याय की आज 183वीं जयंती है. बांग्ला भाषा के प्रसिद्ध उपन्यासकार और कवि होने के साथ साथ बंकिम चंद्र पत्रकार भी थे. प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंद मठ’ लिखने वाले बंकिम चंद्र 'साहित्य सम्राट' के नाम से भी मशहूर थे. उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने इस अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने ट्वीट करते हुए लिखा, "भारत के महान उपन्यासकार और राष्ट्रवादी बंकिम चंद्र चटोपाध्याय की जयंती पर आज पूरा देश उन्हें याद कर रहा है. वो एक निडर पत्रकार थे जिन्होंने अपनी लेखनी के जरिये लोगों के दिलों में राष्ट्रवाद की भावना को जागृत किया. उनकी अमर कृति वंदे मातरम हर भारतीय के लिए प्रेरणास्त्रोत बना रहेगा."
योगी आदित्यनाथ और पीयूष गोयल ने भी किया याद
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस अवसर पर बंकिम चंद्र चटोपाध्याय को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, "महान कवि, अद्भुत उपन्यासकार और राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' की रचना कर करोड़ों भारतीयों के मन में राष्ट्र उपासना व मातृभूमि के लिए सेवा भाव जागृत करने वाले महान रचनाकार बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय जी को उनकी जयंती पर शत्-शत् नमन."
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने इस अवसर पर बंकिम चंद्र को याद करते हुए ट्वीट किया, "साहित्य सम्राट बंकिम चंद्र को चटोपाध्याय को उनकी जयंती पर मेरा नमन. उन्होंने हमारे राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम की रचना की. देश में साहित्य के पुनर्जागरण में उनका अहम योगदान था. साथ ही उन्होंने ना सिर्फ राष्ट्रवाद की भावना को को जगाया बल्कि आजादी के दीवानों को भी अपने साहित्य से प्रेरित किया."
27 जून, 1838 को हुआ था जन्म
बंकिम चंद्र चटोपाध्याय का जन्म पश्चिम बंगाल के उत्तरी चौबीस परगना के कंठालपाड़ा, नैहाटी में आज ही के दिन यानी 27 जून, 1838 को उनका जन्म हुआ था. बंगाल के प्रसिद्ध प्रेसीडेंसी कॉलेज से 1857 में बीए की डिग्री लेने वाले बंकिम चंद्र पहले भारतीय थे. उनकी प्रथम बांग्ला कृति 'दुर्गेशनंदिनी' 1865 में छपी थी.
उन्होंने 1882 में अपना प्रसिद्ध 'आनंदमठ' उपन्यास लिखा था. यह उपन्यास 1773 के संन्यासी विद्रोह पर आधारित था. ब्रिटिश शासन ने ‘गॉड सेव द क्वीन’ गीत को गाया जाना सभी के लिए अनिवार्य कर दिया था. इसके विरोध में बंकिम चंद्र ने ‘वंदे मातरम’ की रचना की थी. इस गीत की रचना के लगभग छह साल बाद बंकिम चंद्र ने इसे ‘आनंद मठ’ का हिस्सा बनाया. 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा के अध्यक्ष और स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने इसे ‘राष्ट्रगीत’ का दर्जा दिया था.
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