पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थी की बेटी ‘नागरिकता’ को मिला जन्म प्रमाणपत्र
बीते 11 दिसंबर को सीएए को लोकसाभा में पारित कर दिया गया था. बच्ची की दादी ने कहा कि जबसे बच्ची पैदा हुई थी तबसे ही नागरिकता संशोधन बिल पर चर्चा हो रही है और इसलिए परिवार ने लड़की का नाम 'नागरिकता' रखने का फैसला किया.
नई दिल्ली: संशोधित नागरिकता कानून को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच भाजपा के नेतृत्व वाले उत्तरी दिल्ली नगर निगम(एनडीएमसी) ने सोमवार को राजधानी के पुनर्वास कालोनी में रहने वाले एक पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी की बेटी ‘नागरिकता’ को उसका जन्म प्रमाण पत्र सौंपा.
बच्ची की दादी मीरा दास (40) ने पहले कहा था कि बच्ची का जन्म नौ दिसंबर को हुआ था और राज्यसभा में संशोधित नागरिकता विधेयक के पारित होने के बाद हमने इसका नाम ‘नागरिकता’ रखने का फैसला किया.
मीरा ने भी लोकसभा में बिल के पारित होने की मन्नत मांगी थी और उस दिन उपवास रखा था. उन्होंने कहा, ‘‘ सुरक्षित पनाहगाह की तलाश में हम आठ साल पहले भारत आए थे. यह हमारा एकमात्र घर है लेकिन नागरिकता नहीं मिलने की वजह से हम दुखी थे. अब गर्व से कह सकते हैं कि हम भारतीय हैं और हम पक्षी की तरह उड़ सकते हैं.’’
क्या है नागरिकता संशोधन बिल 2016?
भारत देश का नागरिक कौन है, इसकी परिभाषा के लिए साल 1955 में एक कानून बनाया गया जिसे 'नागरिकता अधिनियम 1955' नाम दिया गया. मोदी सरकार ने इसी कानून में संशोधन किया है जिसे 'नागरिकता संशोधन बिल 2016' नाम दिया गया है. संशोधन के बाद ये बिल देश में छह साल गुजारने वाले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के छह धर्मों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और इसाई) के लोगों को बिना उचित दस्तावेज के भारतीय नागरिकता देने का रास्ता तैयार करेगा. पहले'नागरिकता अधिनियम 1955' के मुताबिक, वैध दस्तावेज होने पर ही ऐसे लोगों को 12 साल के बाद भारत की नागरिकता मिल सकती थी.