Birthday Special: हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकालत भी कर चुके हैं राष्ट्रपति कोविंद, यूपी से इस पद पर पहुंचने वाले पहले शख्स
Birthday Special: देश की सबसे बड़ी कुर्सी पर बैठे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का आज जन्मदिन है. दलितों के कोली समुदाय से ताल्लुक रखने वाले कोविंद का जन्म कानपुर देहात के गांव परौख में हुआ था.
Birthday Special: देश की सबसे बड़ी कुर्सी पर बैठे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का आज जन्मदिन है. दलितों के कोली समुदाय से ताल्लुक रखने वाले कोविंद का जन्म साल 1945 में कानपुर देहात के एक छोटे से गांव परौख में हुआ था. राष्ट्रपति बनने से पहले रामनाथ कोविंद बिहार के राज्यपाल थे. बड़ी बात यह है कि रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेश से आने वाले पहले राष्ट्रपति हैं. जानिए राष्ट्रपति कोविंद के जन्मदिन के मौके पर उनसे जुड़ी अहम बातें.
बीजेपी के सबसे बड़े दलित चेहरा माने जाते थे कोविंद
बीजेपी दलित मोर्चा और अखिल भारतीय कोली समाज के अध्यक्ष रह चुके कोविंद बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर भी सेवाएं दे चुके हैं. अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी युग के रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सबसे बड़े दलित चेहरा माने जाते थे.
राजनीतिक सफर
रामनाथ कोविंद ने साल 1990 में बीजेपी में शामिल होकर लोकसभा चुनाव लड़ा. चुनाव तो हार गए लेकिन 1993 और 1999 में पार्टी ने इन्हें राज्यसभा भेज दिया गया. इस दौरान रामनाथ बीजेपी अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने. साल 2007 में रामनाथ बोगनीपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े लेकिन फिर जीत नहीं सके. इसके बाद उन्हें यूपी बीजेपी संगठन में सक्रिय करके प्रदेश का महामंत्री बनाया गया.
कोविंद राज्यसभा सदस्य के रूप में अनेक संसदीय समितियों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे. खासकर अनुसचित जातिाजनजाति कल्याण सम्बन्धी समिति, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता और कानून एवं न्याय सम्बन्धी संसदीय समितियों में वह सदस्य रहे.
दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में की वकालत
एलएलबी की पढ़ाई करने के बाद रामनाथ ने आईएएस की तैयारी की थी. सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास भी की लेकिन आईएएस कैडर न मिलने की वजह से उन्होंने वकालत करने का फैसला किया. रामनाथ कोविंद ने दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकालत की. 1977 से 1979 तक दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार के वकील रहे. जबकि 1980 से 1993 तक सुप्रीम कोर्ट में वकालत की.
हमेशा गरीबों और कमजोरों की मदद की
एक वकील के रूप में कोविंद ने हमेशा गरीबों और कमजोरों की मदद की. खासकर अनुसूचित जातिाअनुसूचित जनजाति के लोगों, महिलाओं, जरूरतमंदों और गरीबों की वह फ्री लीगल एड सोसाइटी के बैनर तले मदद करते थे. अक्तूबर 2002 में कोविंद ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को सम्बोधित किया था.
रामनाथ कोविंद लखनऊ स्थित भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के प्रबन्धन बोर्ड के सदस्य और भारतीय प्रबन्धन संस्थान कोलकाता के बोर्ड आफ गवर्नर्स के सदस्य भी रह चुके हैं. कोविंद ने संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया है और अक्तूबर 2002 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को सम्बोधित किया था.
समय समय पर उत्तर प्रदेश का दौरा करते रहे हैं
सरल और सौम्य स्वभाव के राष्ट्रपति कोविंद का कानपुर से गहरा रिश्ता है. भले ही वह इस समय वह राष्ट्रपति हों लेकिन कानपुर से लगातार उनका जुड़ाव रहा है. यही कारण है कि वह समय समय पर उत्तर प्रदेश का दौरा करते रहे हैं. हाल ही में वह रेल से अपने गांव गए थे.