नई दिल्ली: अटल बिहारी वाजपेयी राजनीति में सिर्फ एक नाम नहीं है बल्कि वह एक विचारधारा है. वह विचारधारा जिसमें विश्वास है, सत्य है, शिष्टाचार है, राष्ट्रप्रेम है और अपने विरोधियों के लिए सम्मान भी है. आज राजनीति में इन सभी चीजों की कमी दिखती है. खासकर विरोधियों के लिए सम्मान तो अब बहुत मुश्किल से देखने को मिलता है. मगर अटल बिहारी बाजपेयी जब तक राजनीति में सक्रिय रहे तब तक उनके अपनी पार्टी के अलावा वह विपक्ष के लिए बी सम्मान के विषय बने रहे. वह जब राजनीति के कड़वाहट भरी जमीन पर मोहब्बत का राग छेड़ते थे तो क्या अपने और क्या राजनीतिक विरोधी सभी ने सिर्फ शांत होकर उनको सुना.
आपसी प्रेम और विरोधियों के प्रति उनकी स्वीकारिता तो जग जाहिर है. लेकिन वह जिस 'राजनीतिक विरोधी' के सबसे ज्यादा कायल रहे वह कोई और नहीं बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे. इस बात को उन्होंने खुद स्वीकारा भी. एकबार उन्होंने कहा कि आज अगर वह जिंदा हैं तो सिर्फ राजीब गांधी की वजह से. आइए जानते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या था ?
वाजपेयी ने कहा -अगर राजीव गांधी नहीं होते तो मैं जिंदा नहीं होता
बात उस वक्त की है जब 984 में कांग्रेस की सरकार बनी. राजीब गांधी देश के छठे प्रधानमंत्री बने. उन दिनों अटल विहारी बाजपेयी को किडनी की समस्या थी. वह भारत में अपना इलाज नहीं करवा सकते थे क्योंकि भारत में उसका इलाज संभव नहीं था. इलाज के लिए अटल बिहारी को अमेरिका जाने की जरूरत थी लेकिन वह उस वक्त इस स्थिति में नहीं थे कि जा सकते.
अटल बिहारी वाजपेयी के सेहत के बारे में कहीं से तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को पता चल गया. उन्होंने अटल जी को अपने दप्तर पर बुलाया. राजीव गांधी ने उनसे कहा कि संयुक्त राष्ट्र में न्यूयॉर्क जाने वाले भारत के प्रतिनिधिमंडल में उन्हें भी शामिल किया गया है. साथ ही राजीव गांधी ने उनसे कहा कि उम्मीद है आप इस मौके का लाभ उठाएंगे और अपना इलाज भी करवा लेंगे.
ऐसा ही हुआ भी, अटल बिहारी वाजपेयी वहां से ठीक होकर वापिस आए मगर इस बात का जिक्र किसी से नहीं किया. न ही इस मदद को लेकर राजीव गांधी ने किसी से सार्वजनिक तौर पर कभी चर्चा की.
विदेश से आकर भी अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी विपक्ष की भूमिका में हल्के नहीं पड़े. सरकार की कमिया गिनाते हुए जमकर आलोचना की. राजीव गांधी भी उसे स्वीकार करते रहे. दोनों ने राजनीतिक मर्यादा कभी नहीं लांघी.
जब 21 मई 1991 को राजीव गांधी की हत्या की गई तब अटल बिहारी वाजपेयी ने उनके द्वारा की गई उस मदद का जिक्र किया. उन्होंने एक पत्रकार को भावुक अंदाज में पूरा वाकया सुनाया और कहा कि वह जिंदा हैं तो राजीव गांधी की वजह से. उन्होंने कहा था कि वह विपक्ष में हैं और उनसे अपेक्षित है कि वह एक विरोधी की तरह बर्ताव करें. लेकिन उन्होंने कहा कि वह नहीं कर सकते.
बतौर राजनेता अटल बिहारी वाजपेयी के किरदार में ईमानदारी, विश्वास, सम्मान, शौर्य, स्वाभिमान सभी कुछ समाया हुआ था. अटल बिहारी वाजपेयी और राजीव गांधी के बीच आपसी वंधुत्व का वह दुर्लभ चित्र अब राजनीति के कैनवास पर देखने को नहीं मिलता.
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