BIS Action on Mineral Water Company: त्योहारों के सीज़न में मिलावटी वस्तुएं बाज़ार में खुलेआम बिकती हैं. खाने से लेकर पीने के पदार्थ में निम्न क्वालिटी की चीजें जमकर बेची जाती हैं. गुणवत्ता की जांच करने वाली संस्था ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) ने ऐसी कंपनी और लोगों के ख़िलाफ़ त्योहार से पहले एक्शन लेने को लेकर कमर कस लिया है. ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स ने मुंबई (Mumbai) के माहूल इलाके में एक वॉटर प्लांट (Water Plant) के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है.


गुणवत्ता की जांच करने वाली संस्था ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) के अधिकारियों ने बिसलेरी की फ्रेंचाइजी कंपनी 'प्रतिमा फूड एंड बेवरेजेस' के प्लांट पर एक्शन लिया है.


ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स की कार्रवाई


हाल ही में ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स ने इस प्लांट से पानी के कुछ सैंपल कलेक्ट किए थे, जिसके टेस्ट में उसे पीने योग्य नहीं पाया गया. इसके बाद प्लांट के खिलाफ कार्रवाई करते हुए BIS ने स्टॉप वर्क के ऑर्डर दिए थे. बाद में अधिकारियों को पता चला कि इस प्रतिबंध के बावजूद प्लांट के अंदर रात के अंधेरे में कथित गोरख धंधे को अंजाम दिया जा रहा था.


बिसलेरी के असली जार में नकली पानी


BIS से जुड़े अधिकारी ने बताया कि इस खुलासे के बाद इन प्रोडक्ट्स को लेकर जीएसटी घोटाले का भी शक है, जिसकी जांच जारी है. प्राथमिक जांच में एजेंसी को ये भी पता चला है कि बाजार में किसी को शक न हो इसलिए, ये फ्रेंचाइजी कंपनी बिसलेरी के असली जार में ही पानी पैकेजिंग कर बेच रही थी. बिसलेरी कंपनी के भी कुछ अधिकारियों की मिलीभगत का शक जताया जा रहा है.


ब्रांडेड कंपनी की आड़ में ग्राहकों से धोखा


त्योहारों के मौके पर मिलावटी तेल, दूध, मावा, पनीर की खबरें तो अक्सर आती रहती हैं, लेकिन सवाल है कि पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर भी ब्रांडेड कंपनी की आड़ में अगर निम्न दर्जे का लोगों को मिले तो ऐसे में आम जनता इन मुनाफाखोरों के जंजाल से कैसे बचे? जब ब्रांडेड प्रोडक्ट्स को लेकर ही शक पैदा हो या सवाल खड़े हों तो नॉन ब्रैंड्स का क्या हाल होगा, इसकी कल्पना करना मुश्किल नहीं.


कंपनियों की बढ़ सकती हैं मुश्किलें


इस मामले में हमें अब तक फ्रेंचाइजी कंपनी (Franchise Company) के मालिक अतुल मिश्रा और रागिनी मिश्रा की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है. सूत्रों का दावा है कि इस मामले में दोनों कंपनियों की मुश्किलें बढ़ सकती है. जबकि एफडीए, BIS और FSSAI जैसी एजेंसियां आनेवाले वक्त में ऐसी और भी कार्रवाई को अंजाम दे सकती हैं.


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