नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को देश में क्रिप्टोकरेंसी में व्यापार की अनुमति प्रदान कर दी. इससे पहले 2018 में भारतीय रिजर्व बैंक ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था. भारत में क्रिप्टो करेंसी का कारोबार करने वालों की संस्था इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने इसे चुनौती देते हुए कहा था कि भारत सरकार ने क्रिप्टो करेंसी पर रोक नहीं लगाई है.


ऐसे में रिज़र्व बैंक को अपनी तरफ से इस तरह का आदेश देने का अधिकार नहीं था. रिज़र्व बैंक ने दलील दी थी कि बैंकिंग व्यवस्था को किसी भी संभावित नुकसान से बचाने के लिए इस तरह का कदम उठाना ज़रूरी था.


क्या है बिटक्वॉयन या वर्चुअल करेंसी?




क्रिप्‍टो करेंसी एक वर्चुअल करेंसी है और क्रिप्टो करेंसी में सबसे लोकप्रिय बिटकाइन है. बिटकॉइन को 2009 में लॉन्‍च किया गया था और इसके बाद से कई और क्रिप्टो करेंसी लॉन्च हो चुकी हैं.


इस करेंसी को सरकार जारी नहीं करती है इसलिए उसे रेगुलेट भी नहीं कर सकती हैं. भले ही इसके नाम में करेंसी या क्वॉयन जुड़ा हो, लेकिन दुनिया के किसी भी केंद्रीय बैंक मसलन, भारतीय रिजर्व बैंक ने इसे जारी नहीं किया है.


इसको हम अपने घर या अपनी जेब में नहीं रख सकते. वर्चुअल करेंसी ना तो कागजी नोट के रुप में नजर आता है और ना ही धातु के सिक्के के तौर पर. लिहाजा वर्चुअल करेंसी ना तो नोट है और ना ही सिक्का. यह केवल इलेक्ट्रॉनिकली स्टोर होती है और अगर किसी के पास बिटकॉइन है तो वह आम मुद्रा की तरह ही सामान खरीद सकता है. सरकार या किसी भी नियामक ने किसी भी एजेंसी, संस्था, कंपनी या बाजार मध्यस्थ को बिटक्वॉयन जारी करने का लाइसेंस नहीं दे रखा है.


सरकार लगातार क्रिप्टो करेंसी को लेकर आगाह करती रही


वित्त मंत्रालय ने पहले भी बिटक्वॉयन समेत तमाम वर्चुअल करेंसी के खतरे के प्रति लोगों को आगाह किया था. साथ ही इसे एक तरह का पोंजी स्कीम भी माना है जिसमें भारी मुनाफे के लालच में लोग पैसा लगाते हैं, लेकिन बाद में मूल के भी लाले पड़ जाते है. अपने बजट भाषण में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था, ''सरकार क्रिप्टो करेंसी लीगल टेंडर या क्वाइन पर विचार नहीं करती है. अवैध गतिविधियों को धन उपलब्ध कराने अथवा भुगतान प्रणाली के एक भाग के रुप में इन क्रिप्टो परिसंपत्तियों के प्रयोग को समाप्त करने के लिए सभी प्रकार का कदम उठाएगी.''


जब RBI ने कही थी खुद की क्रिप्टो करेंसी लाने की बात


अप्रैल 2018 में रिजर्व बैंक ने एक कमेटी बनाने का ऐलान किया था जो आरबीआई के वर्चुअल करेंसी लाने के बारे में सुझाव देगा. बैंक का कहना है कि ये मौजूदा कागजी मुद्रा के अतिरिक्त होगी. कागजी मुद्रा की छपाई वगैरह पर खर्च भी काफी होता है जबकि वर्चुअल करेंसी को लेकर इस तरह की परेसानी नहीं होगी. फिलहाल, अभी स्ष्पट नहीं है कि ये वर्चुअल करेंसी कब आएगी.


क्या हैं क्रिप्टो करेंसी से होने वाले नुकसान?


इंटरनेट करेंसी होने की वजह से इसे आसानी से हैक किया जा सकता है. इस करेंसी को किसी भी सेंट्रल एजेंसी द्वारा नियंत्रित नही किया जाता है इसलिए किसी ग्राहक का पैसा डूबने या विवाद को हल करने के लिए कोई भी व्यवस्था नहीं है. बिटकॉइन के जरिए लेन-देन करने वालों को लीगल और फाइनेंशियल रिस्क उठाना पड़ता है. दरअसल, इस करेंसी को लेकर उठने वाली समस्याओं को हल करने की कोई उचित व्यवस्था नहीं है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बिटकॉइन का इस्तेमाल गैरकानूनी और आतंकवादी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.


बिटकॉइन नहीं है, ये है सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली क्रिप्टोकरेंसी


बिटकॉइन सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली क्रिप्टोकरेंसी नही है. हालांकि डिजिटल एसेट की दुनिया में इसकी वैल्यू जरूर 70 फीसदी है. क्रिप्टकरेंसी से जुड़ी वेबसाइट कॉइनमार्केटकैप डॉट कॉम. CoinMarketCap.com के आकड़ों के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी टीथर का इस्तेमाल होता है. 30 गुना तक कम मार्केटकैप होने के बावजूद इसका दैनिक और मासिक ट्रेडिंग वॉल्यूम सबसे अधिक है.