VK Pandian Quits Politics: दिल्ली में नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने से पहले ओडिशा में बड़ा सियासी उलटफेर हुआ है. बीजू जनता दल (बीजेडी) नेता और पूर्व आईएएस वीके पांडियन ने राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया है.
लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बीजेडी को मिली करारी हार के बाद से ही वीके पांडियन के राजनीतिक भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग गया था. इस बीच रविवार (9 जून) को वीके पांडियन के राजनीति से संन्यास के फैसले ने सबको चौंका दिया है. हालांकि, नवीन पटनायक के अपने उत्तराधिकारी पर हालिया बयान के बाद पांडियन को लेकर अटकलें बढ़ गई थीं.
ओडिशा के राजनीतिक गलियारों में लंबे समय से चर्चा रही थी कि वीके पांडियन ही नवीन पटनायक के उत्तराधिकारी होंगे. बीजेडी प्रमुख नवीन पटनायक ने 8 जून को अपने उत्तराधिकारी के मुद्दे पर चुप्पी तोड़ी. पटनायक ने अपने करीबी सहयोगी वीके पांडियन को लेकर कहा कि वह उनके उत्तराधिकारी नहीं हैं.
उत्तराधिकारी को लेकर क्या बोले पटनायक?
समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में नवीन पटनायक ने कहा, ''ओडिशा के लोग तय करेंगे कि मेरा उत्तराधिकारी कौन होगा. पांडियन पार्टी के सदस्य हैं और उनकी आलोचना दुर्भाग्यपूर्ण थी. वह पार्टी में शामिल हुए और किसी पद पर नहीं रहे. उन्होंने एक भी चुनाव नहीं लड़ा. उन्होंने पिछले 10 सालों में अलग-अलग क्षेत्रों में अच्छा काम किया है.''
बीजेपी ने ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान नवीन पटनायक के करीबी वीके पांडियन को लेकर प्रचार करते हुए दावा किया था कि सीएम पटनायक राज्य के लोगों पर एक गैर-उड़िया शख्स को थोपने की कोशिश कर रहे हैं.
पटनायक ने की थी पांडियन की तारीफ
हालांकि, नवीन पटनायक ने वीके पांडियन की तारीफ करते कहा, ''उन्होंने चक्रवात हो या फिर कोविड-19 महामारी हर समय बेहतरीन काम किया है. उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दिया और उसके बाद वह पार्टी में शामिल हो गए. वह एक निष्ठावान और ईमानदार व्यक्ति हैं और उन्हें इसके लिए याद किया जाना चाहिए.''
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