नई दिल्ली: शंकरसिंह वाघेला के कांग्रेस छोडने के बाद गुजरात में कांग्रेस का पत्ता बिखर रहा है. सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार का राज्यसभा जाना मुश्किल हो रहा है. कांग्रेस में विधायकों के इस्तीफे की झडी लगी हुई है. अब तक 6 विधायकों का इस्तीफा हो चुका है. 10 दिन में राज्यसभा चुनाव होने हैं और इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं.
कांग्रेस ने लगाया 10 करोड़ में विधायक खरीदने का आरोप
इस हालत में सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल का राज्यसभा पहुंचना मुश्किल हो गया है. इस बीच कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि 10 करोड़ रुपये कांग्रेस के विधायकों को ऑफर किए जा रहे हैं.
सुरजेवाला ने कहा, ''हमारे विधायक पूना भाई गामित तथा मंगल गावित को 10 करोड़ का प्रलोभन देकर तोड़ने का प्रयास किया गया पर उन्होंने पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा नहीं छोड़ी. कांग्रेस के विधायकों को अपनी निष्ठा बदलने के लिये टिकिट का लालच भी दिया गया है.''
कांग्रेस विधायक पूना भाई गामित ने कहा, ''मुझे कांग्रेस पार्टी छोड़ने के लिए 5-10 करोड़ ऑफर किये गए और कहा गया कि सीधे अमित शाह से बात कर लो. मैंने सोचा कि मैं पार्टी छोड़ कर नहीं जाऊंगा. पार्टी के प्रति निष्ठावान नहीं रहा तो अपने वोटर्स के पास क्या मुंह लेकर जाऊंगा. मुझसे एक एसपी रैंक के एक अधिकारी ने दबाव डालते हुए कहा कि मैं खुद तुम्हारी बात अमित भाई से बात करवाता हूं और तुम्हारी टिकट भी पक्की करवा दूंगा.''
कांग्रेस के दूसरे विधायक मंगल भाई गावित ने कहा, ''मुझे कल आहवा में खुमान सिंह वांसियां मिलने आये और अपने फोन से शंकरसिंह वाघेला से मेरी बात करवाई तो बापू ने कहा कि मैं खुमान सिंह वांसियां से बात कर लूं. खुमान सिंह ने मुझे कहा कि आपको बीजेपी से टिकिट मैं दिलवाऊंगा आपके चुनाव का खर्च भी मैं उठाऊंगा और आपको जो भी चाहिए वो मिल जाएगा आप पार्टी से इस्तीफा दे दो.''
रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ''गुजरात में राज्यसभा की तीन सीटों का चुनाव है. इसमें बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी उम्मीदवार हैं. बीजेपी के पास दो सीट जीतने का जनमत है. लेकिन धनबल, बाहुलबल और सत्ताबल का एक घिनौना षडयंत्र गांधी की भूमि पर खेला जा रहा है.''
रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ''सत्ता की भूख ने सत्ता के हुक्मरानों को इस कदर अंधा कर दिया कि कांग्रेस के विधायकों को करोड़ों रुपये की रिश्वत और चुनाव की टिकट के साथ तरह तरह प्रलोभन दिए जा रहे हैं. धनबल, सत्ताबल, अधिकारियों और एजेंसियों का दुर्पयोग कर बीजेपी के लोगों द्वारा कांग्रेस के विधायकों को बीजेपी अध्यक्ष से मिलवाने और चुनाव का खर्चा उठवाने का प्रलोभन दिया जा रहा है.''
अब तक किन किन विधायकों ने छोड़ी कांग्रेस?
कांग्रेस के कुल छह विधायक अब तक इस्तीफा दे चुके हैं. ये सभी विधायक शंकरसिंह वाघेला के करीबी बताए जा रहे हैं. इनमें बलवंतसिंह छत्रसिंह राजपूत, पीआई पटेल, तेजस्वीबेन पटेल, तेजश्री पटेल और रामसिंह परमार का नाम शामिल है.
क्या कहता है गुजरात विधानसभा का गणित?
गुजरात में कांग्रेस के कुल 57 विधायक थे, लेकिन अब छह विधायकों के पाले बदलने की वजह से संख्या घटकर 51 रह गई है. दूसरी तरफ अहमद पटेल को जीत के लिए 46 विधायकों का वोट चाहिए . इस आंकड़े के हिसाब से अभी अहमद पटेल की जीत में दिक्कत नहीं दिख रही है लेकिन उन्हें असली समस्या बीजेपी नेतृत्व की अगली चाल से है.
दरअसल सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक बीजेपी इस कोशिश में जुटी है कि गुजरात कांग्रेस के कम से कम 22 विधायक उसका साथ छोड़ दें. ऐसा करने से गुजरात विधानसभा में कांग्रेस की सदस्य संख्या 57 से घटकर 35 हो जाएगी. दूसरी तरफ कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे से विधानसभा की सदस्य संख्या 182 से घटकर 160 हो जाएगी. बीजेपी को इसका फायदा ये होगा सदन की सदस्य संख्या घटने से राज्यसभा में एक सीट की जीत के लिए 40 विधायकों के वोट की जरूरत पड़ेगी.
कौन हैं अहमद पटेल?
अहमद पटेल ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरआत की साल 1976 में भरुच से की. कांग्रेस से सक्रीय कार्यकरता रहे अहमद पटेल ने जल्द पार्टी में अपने लिए बड़ी जगह हासिल कर ली. पटेल 1977 से लेकर 1989 तक तीन बार लोकसभा के सांसद बने. साल 1985 में वो तब के प्रधानमंत्री राजीव गांधी के संसदीय सचिव भी बने लेकिन 1987 के बाद वो लोकसभा नहीं पहुंच सके.
पार्टी में अपनी जगह बना चुके अहमद पटेल को कांग्रेस ने साल 1993 में राज्यसभा भेजा और तब से वो चार राज्यसभा के सांसद है. साल 2001 में पार्टी ने उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का राजनीतिक सलहाकार नियुक्त किया. इसे बाद उनका कद और बढ गया. कांग्रेस का बाकी पार्टियों से गठबंधन और साल 2004 और 2009 की जीत के लिए पटेल को ही मास्टारमाइंड मना जाता है. उस वक्त पटेल ने ना सिर्फ यूपीए बनाने में अहम रोल प्ले किया बल्कि 2004 और 2009 में जीत भी दिलाई. इतना सब करने के बाद भी पटेल ने कोई मंत्रीपद या और जिम्मेदारी नहीं ली. वो आज भी सोनिया गांधी के राजनितिक सलहाकार हैं.