नई दिल्ली: दिल्ली चुनावों की सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं. अलग-अलग राष्ट्रीय दलों ने अपने बड़े नेताओं की फौज उतार दी है चुनाव प्रचार में. लेकिन इस कड़ी में सबसे आगे बीजेपी नजर आ रही है बीजेपी ने ना सिर्फ अपने स्टार प्रचारकों की झड़ी लगा दी है बल्कि उसके अलावा भी 300 से ज्यादा बड़े चेहरे इस चुनाव प्रचार में उतार दिए हैं.


सामने आ रही जानकारी के मुताबिक बीजेपी के 300 से ज्यादा बड़े नेता/चेहरे चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं इनमें 70 से ज्यादा केंद्रीय मंत्री, 200 से ज्यादा सांसद, बीजेपी शासित राज्यों के 11 मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री और अलग-अलग राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों को भी दिल्ली में चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इतना ही नहीं बीजेपी संगठन के पदाधिकारियों को भी अलग अलग विधानसभाओं और नगर निगमों को जिताने की ज़िम्मेदारी सौंप दी गयी है.


बीजेपी की कोशिश है कि वह दिल्ली के 272 नगर निगम में हर एक जगह एक प्रतिनिधि बनाकर उसको वह वार्ड जिताने की जिम्मेदारी दी जाए और इसी कड़ी में केंद्रीय मंत्रियों से लेकर सांसदों और मुख्यमंत्रियों तक को ऐसी जिम्मेदारी दी गई है. इसी वजह से अलग-अलग मंत्रियों और सांसदों को हर रोज उस क्षेत्र में मौजूद रहने का निर्देश दे दिया गया है.


बीजेपी की इस रणनीति को लेकर आम आदमी पार्टी भी लगातार चर्चा कर रही है और किस कदर बीजेपी की इस रणनीति से आम आदमी पार्टी पर असर पड़ा है. इसका अंदाजा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आज एक रोड शो में दिए गए बयान से लगाया जा सकता है. रोड शो में केजरीवाल ने बीजेपी की इस रणनीति का ज़िक्र करते हुए नेताओं की बड़ी फौज का किस तरह से मुकाबला किया जाए इसका गुरुमंत्र अपने कार्यकर्ताओं को दिया.


बीजेपी की कोशिश यह है कि दिल्ली में अलग-अलग प्रदेशों से आए लोगों तक उनके प्रदेश से जुड़े हुए नेताओं को भेजा जाए जिससे कि ज्यादा बेहतर तरीके से संवाद स्थापित किया जा सके. इसी कड़ी में दिल्ली ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, पंजाब, हिमाचल, महाराष्ट्र, गुजरात, समेत अन्य राज्यों और दक्षिणी राज्यों से जुड़े सभी नेताओं को इस जिम्मेदारी के साथ चुनावी मैदान में उतार दिया है.


यानी साफ तौर पर बीजेपी इसी रणनीति पर काम कर रही है कि जिस तरह नगर निगम चुनावों में बीजेपी ने तीनों नगर निगमों में जीत हासिल की थी और हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में 70 में से 65 विधानसभा जीती थी तो इस बार भी उसी इतिहास को दोहराया जा सके.