दिल्ली में झुग्गियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. शहर की लगभग 750 बड़ी और छोटी झुग्गियों में लगभग 350,000 परिवार रहते हैं, जिनकी संख्या कुल मिलाकर 20 लाख के आसपास है, जो राजधानी की कुल जनसंख्या का लगभग 28 प्रतिशत हैं. इन झुग्गियों में सबसे अधिक परिवारों में 4-5 सदस्य होते हैं, वहीं कुछ घरों में 6 से 8 सदस्य भी रहते हैं. हालांकि, दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में आधारभूत सुविधाओं की कमी है. करीब 55 प्रतिशत झुग्गी घरों में जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है और लगभग 43 प्रतिशत घरों में पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं है.
दिल्ली की झुग्गी बस्तियां हमेशा से राजनीति के केंद्र बिंदु रही हैं. 2020 के विधानसभा चुनावों में दिल्ली के सबसे गरीब मतदाताओं ने आम आदमी पार्टी (AAP) को अपना समर्थन दिया था, लेकिन इस बार उनका समर्थन 2015 की तुलना में कम हुआ था. 2020 में 61 प्रतिशत गरीब मतदाताओं ने AAP को वोट दिया, जबकि 2015 में यह आंकड़ा 66 प्रतिशत था. झुग्गी बस्तियों के 61.7 प्रतिशत निवासी अब भी आप सरकार से संतुष्ट हैं, लेकिन इसमें भी गिरावट आई है, जैसा कि CSDS की ओर से किए गए एक सर्वे में अक्टूबर 2023 में दिखाया गया है.
भाजपा और आप के बीच संघर्ष
दिल्ली में भाजपा, 1998 से सत्ता से बाहर है और अब झुग्गी बस्तियों के सहारे सत्ता में अपनी वापसी की कोशिश कर रही है. पार्टी ने अगस्त महीने में एक निरंतर अभियानों और संपर्क कार्यक्रमों के तहत झुग्गी बस्तियों में रहने वाले मतदाताओं तक पहुंचने का प्रयास किया है. भाजपा के लिए यह एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि झुग्गी बस्तियों को अब तक आम आदमी पार्टी का कट्टर समर्थन हासिल था. पिछले कुछ सालों में, दिल्ली के झुग्गी क्षेत्रों में आप की पकड़ कमजोर हुई है. खासतौर पर 2022 के एमसीडी चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों में आप ने कई झुग्गी-झोपड़ी वाले वार्डों और विधानसभा क्षेत्रों में हार का सामना किया है.
भाजपा की रात्रि प्रवास संवाद योजना
दिल्ली विधानसभा चुनावों को देखते हुए भाजपा ने हाल ही में झुग्गी बस्तियों में ‘रात्रि प्रवास संवाद’ कार्यक्रम शुरू किया है, जिसमें पार्टी नेता वहां के निवासियों के साथ रात्रि बिताने का प्रयास करेंगे. वहीं, आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर चुनावी रणनीति के तहत “झुग्गी पर्यटन” का आरोप लगाया है. केजरीवाल का कहना है कि भाजपा ने पिछले कुछ सालों में शहर की कई झुग्गियों को ध्वस्त कर दिया है और अब चुनावों से पहले इस समुदाय को आकर्षित करने के लिए ये अभियान चलाए जा रहे हैं.
दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में सियासी जंग और भी तेज हो गई है, जहां दोनों प्रमुख पार्टियां अपनी-अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए संघर्ष कर रही हैं.
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