मुंबई: अगले महीने होने जा रहे नवी मुंबई महानगरपालिका चुनाव के लिये बीजेपी और राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस के बीच गठबंधन हो सकता है. अगर ऐसा होता है तो पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के बाद बनी नई सियासी तस्वीर में दोनो पार्टियों के बीच ये पहला गठबंधन होगा. पिछला चुनाव बीजेपी और शिवसेना ने गठबंधन करके लड़ा था. लेकिन शिवसेना के साथ छोड़ देने के बाद बीजेपी अब नये क्षेत्रीय पार्टनर की तलाश में है.

अप्रैल के तीसरे हफ्ते में मुंबई के पड़ोसी शहर नवी मुंबई में महानगरपालिका की 111 सीटों के लिये चुनाव हो सकते हैं. 2015 के चुनाव में यहां एनसीपी सत्ता में आई थी. लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले शहर के बड़े एनसीपी नेता गणेश नाईक अपनी पार्टी के तमाम पार्षदों के साथ बीजेपी से जुड़ गये और इस महानगरपालिका पर बीजेपी का कब्जा हो गया.

2019 के विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी और शिवसेना में अलगाव हो गया. शिवसेना ने कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना ली. इन तीनों ही पार्टियों ने अपने इस गठबंधन का नाम महाविकास आघाड़ी कर दिया. अब महाविकास आघाड़ी में शामिल तीनों पार्टियां नवी मुंबई का महानगरपालिका चुनाव भी एक साथ लड़ रहीं हैं. तीनों ने बीजेपी को घेरने के लिये एक साथ मिलकर प्रचार करना भी शुरू कर दिया है. ऐसे में सियासी हलकों में चर्चा शुरू हो गई है कि अपनी सत्ता बचाये रखने के लिये बीजेपी राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस के साथ गठबंधन कर सकती है.

राज ठाकरे ने देखा कि विधानसभा चुनाव में मराठी का मुद्दा उन्हें कोई फायदा नहीं दिलवा रहा. साल 2014 और 2019 के चुनाव में उनकी पार्टी एक सीट से ज्यादा नहीं जीत सकी. इसलिये इसी साल ठाकरे ने तय किया कि उनकी पार्टी अब मराठीवाद से आगे बढकर हिंदुत्व का मुद्दा अपनायेगी. इसी साल 23 जनवरी को उन्होने अपनी पार्टी का झंडा बदल कर उसे भगवा कर दिया. उन्होंने ऐलान किया कि उनकी पार्टी अब हिंदू हितों के लिये लडेगी.

उधर कांग्रेस-एनसीपी के साथ सरकार बनाने के लिये शिवसेना ने हिंदुत्व के मुद्दे पर नरमी अपनानी शुरू कर दी और सेकुलर शब्द को अपना लिया. ऐसे में एमएनएस को शिवसेना का विकल्प बनने का एक मौका नजर आया. बीजेपी ने भी ऐलान किया कि अगर राज ठाकरे प्रांतवाद का मुद्दा छोड दें तो वो उन्हें अपने साथ ले सकती है.

नवी मुंबई महानगरपालिका के चुनाव के साथ साथ बीजेपी और एमएनएस औरंगाबाद में भी गठबंधन करके चुनाव लडने की सोच रही हैं. औरंगाबाद में भी इसी साल चुनाव होना है और यहां भी तीनों पार्टियां बीजेपी के खिलाफ एकजुट होकर चुनाव लड रहीं हैं.