नई दिल्ली: बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) सूत्रों का मानना है कि पार्टी ने जम्मू-कश्मीर की महबूबा मुफ्ती सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला इसलिए किया होगा क्योंकि जम्मू-कश्मीर और देश के दूसरे हिस्सों में बीजेपी के परंपरागत वोटरों के एक तबके में बेचैनी बढ़ती जा रही थी.


परंपरागत समर्थकों की नाखुशी बढ़ती जा रही थी
जम्मू के बीजेपी नेताओं ने बताया कि उनके परंपरागत समर्थकों की नाखुशी बढ़ती जा रही थी और कार्यकर्ताओं का उत्साह कम होता जा रहा था. परंपरागत समर्थकों और कार्यकर्ताओं को ऐसा लग रहा था कि बीजेपी दो प्रमुख मुद्दों-विकास और कश्मीर में आतंकवाद पर लगाम लगाने पर काम करने में नाकाम होती जा रही है.


गठबंधन से मुक्ति के बाद आतंक पर लगाम लगने की उम्मीद
विश्लेषकों का कहना है कि राज्य में राज्यपाल शासन लागू होने की स्थिति में केंद्र सरकार आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठा सकेगी, जिससे सत्ताधारी बीजेपी को 2019 के लोकसभा चुनावों में फायदा मिल सकता है.


पार्टी की छवि खराब हो रही थी
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के राजनीतिक अध्यनन केंद्र में असोसिएट प्रोफेसर मणिंद्र नाथ ठाकुर ने बताया, ‘‘ऐसा लगता है कि कश्मीर के मुद्दे पर उनकी (बीजेपी की) छवि खराब हो रही थी. यह अपनी छवि फिर से बनाने की कवायद है और वो इससे कुछ फायदे की उम्मीद कर सकते हैं.’’ उन्होंने कहा कि बीजेपी चुनावों से पहले वहां स्थिति थोड़ा सामान्य करना चाहती है. वो अपने परंपरागत समर्थकों से कहना चाहती है कि सुरक्षा के मुद्दे को लेकर वो गंभीर है.


कठुआ मामले पर BJP-PDP में था भारी मतभेद
कठुआ में हाल में एक नाबालिग बच्ची के गैंगरेप के बाद हुई उसकी हत्या के मामले ने भी बीजेपी और पीडीपी के मतभेद बढ़ा दिए थे. प्रदेश बीजेपी के नेताओं ने इस मामले की पुलिस जांच के विरोध में प्रदर्शन किए थे जबकि पीडीपी ने पुलिस जांच का पुरजोर समर्थन किया था.


बिगड़ती स्थिति का हवाला देकर वापस लिया समर्थन
पीडीपी की अगुवाई वाली सरकार से समर्थन वापसी के ऐलान के वक्त बीजेपी महासचिव राम माधव ने राज्य की बिगड़ती सुरक्षा स्थिति को इस फैसले का एक कारण बताया. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अखंडता बीजेपी के लिए सर्वोपरि है और वो इस सवाल पर कोई समझौता नहीं कर सकती.


वहीं उन्होंने हाल ही में हुए पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या को भी गठबंधन टूटने की एक बड़ी वजह बताया था. आपको बता दें कि रमजान के दौरान लागू सीजफायर के दौरान आतंकियों ने पत्राकार सुजात बुखारी की हत्या कर दी. इसी दौरान भारतीय सेना के जवान औरंगजेब की भी अपहरण करके हत्या कर दी गई.


क्या बीजेपी को मिलेगी खोई हुई ज़मीन
इस दौरान कई आतंकवादी हमले हुए जिनमें कई जवानों समेत आम नागरिकों को भी अपनी जानें गंवानी पड़ी. विशेषज्ञों के मुताबिक ये तमाम बातें बीजेपी की छवि को काफी नुकसान पहुंचा रही थीं और इसी वजह से पार्टी गठबंधन से मुक्त होने का फैसला लिया. अब सावल ये है कि क्या पार्टी को इस फैसले के बाद उसकी खोई हुई जमीन वापस मिलेगी?


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