नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के आलाकमान ने कई प्रदेशों के लिए राज्यसभा उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं. मध्य प्रदेश से कांग्रेस के क़द्दावर नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम तो उसी वक़्त तय हो गया था जब सिंधिया ने अमित शाह के साथ जाकर पीएम मोदी से मुलाक़ात की थी, लेकिन ग्यारह नाम की सूची में राजस्थान से घोषित राजेंद्र गहलोत का नाम बेहद चौंका देने वाला माना जा रहा हैं.
गहलोत को राज्यसभा प्रत्याशी बनाकर बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व ने एक तीर से कई शिकार कर डाले हैं. वैसे तो क़रीब सत्तर साल के राजेंद्र गहलोत को संघ की अपनी पृष्ठ भूमि का फ़ायदा तो मिला लेकिन उनकी दावेदारी को मजबूती केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की पैरवी से भी मिली. दरअसल गजेंद्र सिंह शेखावत लम्बे समय से मोदी और अमित शाह की पसंद बने हुए हैं और इसी के चलते उन्हें राजस्थान बीजेपी का अध्यक्ष बनाने का फ़ैसला भी अमित शाह ने अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में लिया था.
तब वसुंधरा राजे ने शेखावत के नाम पर जो विरोध जताया उसी का नतीजा था कि आलाकमान को शेखावत की ताजपोशी का अपना फ़ैसला बदलना पड़ा था. लेकिन वसुंधरा के एतराज़ की ये फांस अब तक शायद बीजेपी के बड़े नेताओं को टीस रही हैं इसलिए राज्यसभा के प्रत्याशी तय करने के लिए बने पैनल में से वसुंधरा राजे के नज़दीकी सभी तीन नाम दरकिनार कर दिए गए.
पैनल में कुल पांच नाम थे जिनमे राजेंद्र गहलोत के अलावा अशोक परनामी, अरुण चतुर्वेदी और पूर्व केंद्रीय मंत्री सीआर चौधरी के नाम शामिल थे. ये तीन नाम वसुंधरा राजे के क़रीबी माने जाते हैं लेकिन इनमे से एक को भी राज्यसभा का टिकट नहीं मिलना साफ़ संदेश हैं कि अब वसुंधरा राजे राजस्थान में पहले सी मजबूत नहीं रही. वैसे वसुंधरा राजे के साथ साथ राजेंद्र गहलोत का नाम तय करके बीजेपी आलाकमान ने राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत पर भी बख़ूबी निशाना साधा हैं.
दरअसल राजेंद्र गहलोत भी जोधपुर के उसी इलाक़े सरदारपुरा से हैं जहां से सीएम अशोक गहलोत चुनाव लड़ते हैं. इसके अलावा राजेंद्र गहलोत भी सीएम अशोक गहलोत की तरह माली जाति से हैं. अब अशोक गहलोत को उन्हीं के घर में उन्हीं के जातिबंधु से टक्कर देने का इससे बेहतर विकल्प भला क्या होता. जोधपुर माली जाति का गढ़ माना जाता हैं और यहां की शहर, सूरसागर और सरदारपुरा विधानसभा सीटों पर माली समाज के क़रीब तीस फ़ीसदी वोट हैं.
ऐसे में जोधपुर से गजेंद्र सिंह शेखावत को पहले केंद्रीय मंत्री बनाकर और अब राजेंद्र गहलोत को राज्यसभा का टिकट देकर बीजेपी आलाकमान सीधे सीधे राजस्थान के सी एम अशोक गहलोत के वर्चस्व को चरणबद्ध तरीक़े से कम करने की योजना पर काम करता दिखाई दे रहा हैं. कुल मिलाकर बीजेपी ने राजेंद्र गहलोत की राज्यसभा टिकट के ज़रिए अपने कई काम साध लिए हैं.