पटना: पहले आयकर विभाग, फिर सीबीआई और अब प्रवर्तन निदेशालय. देश की 3 बड़ी जांच एजेंसिया आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के परिवार की बेनामी संपत्तियों की जांच कर रही हैं. शनिवार को दिल्ली में लालू यादव की बेटी मीसा भारती के 3 ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापेमारी की और मीसा के साथ-साथ उनके पति शैलेष से पूछताछ होती रही. तो वहीं लालू के छोटे बेटे और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर सीबीआई की एफआईआर के बाद बीजेपी तेजस्वी को सरकार से हटाने की मांग कर रही है लेकिन इस पूरे मामले पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुप्पी साध रखी है. ऐसे में सवाल ये है कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करने वाले नीतीश क्या तेजस्वी पर कार्रवाई करेंगे?
फार्म हाउस खरीदने में बड़े पैमाने पर कालेधन को सफेद करने का खेल
सैनिक फार्म में फार्महाउस, घिटोरनी में फार्महाउस और बिजवासन में फार्महाउस, ये दिल्ली के पॉश इलाकों में लालू की बेटी-दामाद के आलीशान ठिकाने हैं. आरोप है कि करोड़ों की कीमत वाले ये फार्म हाउस खरीदने में बड़े पैमाने पर कालेधन को सफेद करने का खेल हुआ. इसी खेल का कच्चा चिट्ठा खोलने के लिए प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने एक साथ इन ठिकानों पर धावा बोल दिया.
मीसा और शैलेष कीकंपनी पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप
ईडी की टीम ने जांच के दौरान मीसा और शैलेष के फोन जब्त कर लिए, साथ ही अहम दस्तावेज भी लिए. मीसा और उनके पति शैलेष के जिन 3 ठिकानों पर ईडी की टीम ने छापेमारी की उन्हें खरीदने में मिशेल नाम की कंपनी की बड़ी भूमिका रही. मीसा और शैलेष की इस कंपनी पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है.
लालू के दामाद को अपने साथ अलग फार्महाउस पर भी ले गई ED
शैलेष और मीसा पर जांच एजेंसियों का शक उस समय गहराया जब इन दोनों की कंपनी मिशेल ने 4 कंपनियों को 1 करोड़ 20 लाख के शेयर बेचे लेकिन वही शेयर मात्र 12 लाख रुपए में वापस खरीद लिए. जांच एजेंसिया जानना चाहती हैं कि आखिर वो कौन से ऐसे हालत थे जब उन्हें ऐसा करना पड़ा. ईडी की टीम ने मीसा और शैलेष से दिनभर कई घंटों तक पूछताछ की. लालू के दामाद शैलेष को अपने साथ अलग फार्महाउस पर भी ले गई. मीसा और शैलेष के इन ठिकानों को लेकर आयकर विभाग भी इन दोनों से पहले पूछताछ कर चुका है लेकिन अब मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप जुड़ जाने से इस मामले में दोनों की गिरफ्तारी भी हो सकती है.
नीतीश की तबियत खराब: जेडीयू
दिल्ली में लालू की बेटी मीसा पर गिरफ्तारी की तलवार और पटना में लालू के बेटे और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी पर सीबीआई की एफआईआर ने लालू परिवार की मुश्किल बढ़ा दी है. लेकिन लालू यादव के परिवार पर आयी इस मुसीबत के समय उनके महागठबंधन के साथी और प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजधानी पटना से करीब 100 किलोमीटर दूर राजगीर के इस गेस्ट हाउस में मौजूद हैं. जेडीयू का कहना है कि नीतीश की तबियत खराब है.
तेजस्वी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग
नीतीश की चुप्पी पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि लालू यादव ने शुक्रवार को ही ये एलान कर दिया कि सीबीआई की एफआईआर में नाम होने के बाद भी उनके बेटे तेजस्वी के इस्तीफा देने का सवाल ही नहीं उठता. बीजेपी इस बात पर अड़ गई है कि सुशासन की बात करने वाले नीतीश कुमार को अब तेजस्वी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करना चाहिए.
नीतीश के पुराने इतिहास को देखा जाए तो अब तक वो ऐसा ही करते रहे हैं...
- 2005 में मुख्यमंत्री बनने के 4 घंटे के अंदर नीतीश ने भ्रष्टाचार के एक पुराने मामले में नाम आने पर अपने कैबिनेट मंत्री जीतनराम मांझी का इस्तीफा ले लिया था.
- 2015 में नीतीश के मंत्री अवधेश सिंह एक स्टिंग ऑपरेशन में फंसे तो नीतीश ने उन्हें बाहर कर दिया.
- विजिलेंस का मुकदमा होने पर नीतीश ने रामानंद सिंह का इस्तीफा ले लिया.
- इसी तरह 2011 में बीजेपी कोटे के मंत्री रामाधार सिंह के खिलाफ मामला सामने आने पर उन्हें भी बर्खास्त कर दिया गया.
भ्रष्टाचार पर चुप क्यों हैं नीतीश ?
बीजेपी नेता और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी का आरोप है कि रामाधार सिंह का मामला बरसों पुराना मामला था. नीतीश कुमार उस पर इस्तीफा ले सकते हैं तो तेजस्वी पर एफआईआर है, जिस पर कार्रवाई कर रही है तो बचा क्या है ?
तेजस्वी इस्तीफा क्यों देंगे: आरजेडी
तेजस्वी के मामले में कार्रवाई तो दूर नीतीश और उनकी पार्टी की तरफ से अब तक कोई बयान भी नहीं आया है. पटना में मौजूद जेडीयू प्रवक्ता कुछ भी बोलने से बच रहे हैं और आरजेडी कह रही है कि तेजस्वी इस्तीफा क्यों देंगे ?
तेजस्वी के मामले में क्या करेंगे नीतीश कुमार ?
बड़ा सवाल यही है कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस यानी जरा सी भी चूक बर्दाश्त न करने की बात कहने वाले नीतीश कुमार तेजस्वी के मामले में क्या करेंगे. क्या जिस तरह अब तक वो ऐसे मामलों में अपने मंत्रियों पर कार्रवाई करते रहे हैं वैसे ही तेजस्वी को भी बर्खास्त करेंगे. इस सवाल के जवाब का इंतजार न सिर्फ बीजेपी को है बल्कि आरजेडी भी अब नीतीश की चुप्पी पर तंज कर रही है.
सुशासन बाबू की छवि बचाएं या सरकार ?
आरजेडी नेताओं के इन तेवरों की वजह है नीतीश कुमार की सियासी मजबूरी. नीतीश कुमार कुर्सी पर इसीलिए हैं क्योंकि आरजेडी के 80 विधायक उन्हें समर्थन दे रहे हैं. ऐसे में तेजस्वी पर कार्रवाई करने का मतलब है आरजेड़ी की समर्थन वापसी का खतरा. अगर ऐसा हुआ तो नीतीश को अपनी सरकार बचाने के लिए बीजेपी का सहारा लेना पड़ेगा - यानी अब नीतीश की सबसे बड़ी मुश्किल यही है कि वो अपनी सुशासन बाबू की छवि बचाएं या सरकार ?