BJP Performance In South India: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने सफलता के कई आयाम गढ़े. पार्टी ने वहां भी कमल खिलाया, जहां पहले कभी भी जीत हासिल नहीं हुई थी. 2014 के बाद से बीजेपी ने देश के अधिकतर राज्यों में या तो अकेले अपने दम पर सरकार बनाई या फिर एनडीए गठबंधन की सरकारें बनीं. लेकिन दक्षिण भारत का दुर्ग जीतने में बीजेपी को अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है.


दक्षिण भारत में दक्षिण के छह राज्य- आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और तेलंगाना आते हैं. इन 6 राज्यों में से सिर्फ कर्नाटक में ही बीजेपी की अपने बूते पर सरकार है. कर्नाटक को छोड़कर दक्षिण भारत के किसी भी राज्य में भगवा पार्टी अपनी पैठ नहीं बना पाई है. हालांकि, पुडुचेरी में पार्टी सत्ता में भागीदार जरूर है.


दक्षिण में बीजेपी का प्रदर्शन


दक्षिण के इन 6 राज्यों में लोकसभा की कुल 130 सीटें हैं. दक्षिण भारत की 130 में से बीजेपी के पास 22 फीसदी यानी की सिर्फ 29 लोकसभा सीटें हैं. 2019 में कर्नाटक में बीजेपी ने 28 लोकसभा सीटों में से 25 सीटों पर जीत हासिल की थी. 2019 में तेलंगाना की 17 सीटों में से भगवा पार्टी को सिर्फ 4 सीटें मिली थीं. तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल में बीजेपी के पास एक भी लोकसभा सीट नहीं है. इतना ही नहीं आंध्र प्रदेश और केरल में पार्टी के पास एक भी विधायक नहीं है.


दक्षिण में बीजेपी की चुनौती


दक्षिण भारत में बीजेपी को आज भी उत्तर भारत की पार्टी माना जाता है. बीजेपी के सामने नॉर्थ इंडियन पार्टी होने का टैग हटाना मुश्किल है. दूसरी सबसे बड़ी चुनौती है कि दक्षिण भारत में क्षेत्रीय पार्टियों से लड़ने के लिए बीजेपी के पास मजबूत क्षेत्रीय चेहरे नहीं हैं. दक्षिण में कर्नाटक को छोड़ अधिकतर राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों की सरकारें हैं, जिनसे लड़ना बीजेपी के लिए मुश्किल है.


कर्नाटक में होगी अग्निपरीक्षा


दक्षिण भारत में बीजेपी के सामने अपनी एकमात्र सरकार को बचाना चुनौती है. कर्नाटक में इसी साल अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं. यदि बीजेपी के हाथों से कर्नाटक निकल जाता है तो इसका सीधा असर तेलंगाना चुनाव में होगा. तेलंगाना में बीजेपी मुख्य प्रतिद्वंद्वी बनकर उभरी है. यहां भी इसी साल के अंत में चुनाव होना है. यहां बीजेपी अपनी पूरी ताकत झोंकने में लगी है. कर्नाटक चुनाव के नतीजों का काफी असर तेलंगाना में पड़ सकता है. इसलिए बीजेपी को हर हाल में कर्नाटक का गढ़ बचाना होगा.


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