Gujarat CSDS Survey: गुजरात चुनाव में पहले फेज के मतदान से ऐन पहले बीजेपी ने बदली रणनीति, CSDS सर्वे ने बढ़ाई मोदी और अमित शाह की चिंता
Gujarat Election Survey: सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी इस बात को लेकर भी आशंकित है कि मतदान अगर 70 फीसदी से ऊपर जाता है तो यह बदलाव के लिए खतरे की घंटी हो सकती है.
Gujarat Election CSDS Survey: गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Election 2022) के पहले चरण के मतदान से ठीक पहले आए सीएसडीएस सर्वे (CSDS Survey) के नतीजों ने कथित तौर पर पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) की चिंता बढ़ा दी है. पहले चरण के ऐन पहले बीजेपी (BJP) ने अपनी चुनावी रणनीति में बदलाव किया है. बीजेपी ने अपने कार्यकर्ताओं से उनके प्रभार वाले केंद्रों पर मतदान प्रतिशत 42 फीसदी से ऊपर सुनिश्चित करने के लिए कहा है. पार्टी ने कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया है कि वे मतदाताओं से अपील करें कि 'नोटा' (NOTA) का बटन न दबाएं.
2017 के विधानसभा चुनाव में 22 सीटें ऐसी थीं जहां बीजेपी उम्मीदवारों की जीत-हार का अंतर नोटा मतों की संख्या से भी कम था. बीजेपी ने अपने पन्ना प्रमुखों और पोलिंग बूथ प्रभारियों से कहा है कि वे इस पर भी नजर रखें कि उनके क्षेत्र में अगर 70 फीसदी से ज्यादा मतदान होता है तो यह 'बदलाव के लिए वोट' की खतरे की घंटी हो सकती है.
क्या कहता है CSDS सर्वे?
सीएसडीएस के एक सर्वे के मुताबिक, पीएम मोदी, गृह मंत्री शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ताबड़तोड़ चुनाव प्रचार के बावजूद लोगों में 'मूल्य वृद्धि' और 'नौकरियों की कमी' को लेकर गुस्सा बना हुआ है. वहीं, पार्टी कार्यकर्ता इस बात से परेशान है कि बीजेपी समर्थित वर्गों, खासकर युवाओं के बीच आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता में इजाफा हुआ है.
सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजेपी की रणनीति में बदलाव के दो महत्वपूर्ण कारक है. पहला यह कि मतदाताओं में उदासीनता है, ज्यादातर को लगता है कि बीजेपी सत्ता में लौट आएगी और दूसरा कारक यह है कि बीजेपी ने 42 मौजूदा विधायकों के टिकट काटे हैं और कांग्रेस छोड़कर आए नेताओं को मैदान में उतारा है, इसलिए पार्टी की चिंता लगभग एक चौथाई सीटों पर संभावित विद्रोह को लेकर है.
बीजेपी की चिंता के ये भी कारण!
सर्वे रिपोर्ट यह भी कहा गया है कि उम्मीदवारों को बदलने के अलावा, कार्यकर्ताओं को बीजेपी के बड़े नेताओं की रैलियों में भीड़ जुटाने को लेकर संघर्ष करना पड़ा है. बीजेपी की चिंता का एक कारण यह भी है कि पिछले विधानसभा चुनाव में उसे 99 सीटें हासिल हुई थीं, 1995 के बाद लगाचार छह जीतों में सीटों के मामले में यह सबसे कम संख्या थी. बीजेपी ने इस बार शुरू में लगभग डेढ़ सौ सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था लेकिन सर्वे रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि पार्टी अब अपने शुरुआती लक्ष्य को लेकर आश्वस्त नहीं है.