शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी जीत हासिल कर सरकार बनाने जा रही है, लेकिन पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल की सुजानपुर सीट से हार को राज्य में बड़े उलटफेर के तौर पर देखा जा रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री धूमल को उनके कांग्रेस प्रतिद्वंदी राजिंदर सिंह राणा ने 1919 वोट से हराया.


धूमल ने अपनी हार स्वीकार करते हुए कहा कि नतीजा अप्रत्याशित है और पार्टी इसका आत्मविश्लेषण करेगी. उन्होंने बीजेपी की शानदार जीत के लिए विजयी उम्मीदवारों एवं पार्टी कार्यकर्ताओं को बधाई दी.


इस बीच ऊना जिले की कुटलेहड़ सीट से जीतने वाले बीजेपी उम्मीदवार वरिंदर कंवर ने धूमल के लिए अपनी सीट छोड़ने की पेशकश की. बीजेपी के सत्ता में आने पर 73 साल के धूमल के राज्य की कमान संभालने की उम्मीद थी. बीजेपी तो जीत गयी लेकिन लोगों ने धूमल के खिलाफ वोट डाला.


धूमल भले ही चुनाव में हार गए हों लेकिन राज्य में अब भी उनका अच्छा खासा प्रभाव है. किसान से अंग्रेजी के शिक्षक बनने और फिर राजनीति का रुख करने वाले धूमल को पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में आम आदमी का प्रतिनिधि माना जाता है. वहीं इससे पहले के मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह एक शाही परिवार से आते हैं.


निचले पहाड़ी क्षेत्र से आने वाले सभ्य, मृदु भाषी और विनम्र नेता धूमल ने बीजेपी में धीरे धीरे अपनी जगह बनाई और इस बार उनके तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद थी. धूमल मार्च,1998 से मार्च, 2003 तक पहली बार मुख्यमंत्री रहे. इस दौरान उन्होंने बीजेपी-हिमाचल विकास कांग्रेस गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया और दूसरी बार जनवरी, 2008 से दिसंबर, 2012 तक प्रदेश की कमान संभाली.


उनके समर्थकों का कहना है कि धूमल का मिलनसार स्वभाव और आसानी से आम आदमी के बीच घुलमिल जाना उनकी विशेषताएं हैं. अंग्रेजी में परास्नातक और कानून में स्नातक धूमल तीन बार सांसद बने और प्रदेश विधानसभा में दो बार विपक्ष के नेता रहे हैं.


इस मौके पर उनके बेटे और हमीरपुर से बीजेपी के सांसद अनुराग ठाकुर ने धूमल को मजबूत प्रतिबद्धता वाला एक सहज इंसान बताया है.


अनुराग ने कहा, "वह अपने समर्पण, कड़ी मेहनत और सार्वजनिक जीवन को लेकर अपनी प्रतिबद्धता के चलते हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं. जब हम छोटे थे तो हमें लगता था कि हमें परिवार में उनके साथ बिताने के लिए ज्यादा समय नहीं मिला लेकिन अब इस बात पर गर्व महसूस होता है कि उन्होंने अपना जीवन राज्य के लोगों की सेवा और कल्याण के लिए समर्पित कर दिया."