नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि बीजेपी और कांग्रेस ने 2016-17 की अपनी-अपनी सालाना ऑडिट रिपोर्ट अब तक चुनाव आयोग को नहीं सौंपी है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ के समक्ष दाखिल हलफनामे में यह जानकारी दी गयी. पीठ राजनीतिक दलों के खर्च की निगरानी के लिए कानून बनाने की विधि आयोग की सिफारिश लागू करने की मांग करने वाली एक गैर सरकारी संगठन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
हलफनामे के साथ दिए गए एक सारणीबद्ध अटैचमेंट से इस बात के संकेत मिले कि जहां दोनों दलों ने 2014-15 और 2015-16 की ऑडिट रिपोर्ट सौंपी थी, 2016-17 के कॉलम में कहा गया कि ‘‘ रिपोर्ट नहीं दाखिल की गयी है. ’’ गैर सरकारी संगठन ‘ एसोसियेशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ’ की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील अरविंद निगम ने कहा कि चुनाव आयोग को सुनिश्चत करना होगा कि ये पार्टी समय पर अपनी रिपोर्ट सौंपें.
अरविंद निगम ने कहा कि अगर बीजेपी और कांग्रेस जैसे बड़े दल ऐसा नहीं करेंगे तो वे छोटे दलों से ऐसा करने की कैसे उम्मीद कर सकते हैं. चुनाव आयोग ने कहा कि उसने इन पार्टियों को रिमाइंडर भेजे. पीठ ने गैर सरकारी संगठन की उस दलील पर गौर किया कि चुनाव आयोग यह सुनिश्चित नहीं कर रहा कि राजनीतिक दल वैधानिक जरूरतों का पालन करें और साथ ही चुनाव आयोग द्वारा दायर हलफनामे को रिकॉर्ड में लिया.
पीठ ने चुनाव आयोग से कहा कि उसे अदालत के आदेश का इंतजार किए बिना अपने वैधानिक कर्तव्य का पालन करना चाहिए और अगली सुनवाई 10 सितंबर के लिए तय कर दी.