अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके और बीजेपी के पूर्व नेता अरुण शौरी ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है. एक इंटरव्यू में अरुण शौरी ने बीजेपी और आरएसएस पर कई सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि आरएसएस शुरू से ही साधुओं जैसे समूहों को अपने से जोड़ता है, पर इस पर बहुत कम लोग ध्यान देते हैं. वर्तमान में जो कुछ भी हम देख रहे हैं उसे देखकर हैरान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि कहीं न कहीं ये हमारी तरफ से इन चीजों को नजरअंदाज करने का ही परिणाम है.


विपक्ष को होना होगा एकजुट


 अरुण शौरी ने कहा कि आरएसएस के नेता अब नरेंद्र मोदी की आर्मी का हिस्सा बन गए हैं और संघ बस एक मुखौटा बनकर रह गया है. भारतीय जनता पार्टी अब महज पार्टी नहीं रह गई है, बल्कि यह एक चुनावी मशीन है और इसके पास आरएसएस है जो दूसरे दलों के पास नहीं है. अगर बीजेपी को चुनौती देना है तो विपक्ष को एकजुट होने की जरूरत है.


बीजेपी को टक्कर देना मुश्किल


पूर्व केंद्रीय मंत्री से जब पूछा गया कि क्या बीजेपी के अंदर या बाहर कोई ऐसा नजर आता है जो उसे चुनौती दे सके, तो इस पर उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के पास आरएसएस जैसा एक कैडर है, इसलिए उसे अंदर से कोई खतरा नहीं है. वह यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि आरएसएस कहता है कि बीजेपी उनके एजेंडे को अंजाम देती है, जबकि अब इसके उलट हो गया है. आरएसएस का शीर्ष नेतृत्व अब सिर्फ मुखौटा बनकर रह गया है. अभी बीजेपी चुनाव जीतने वाली मशीन बन गई है और इसे टक्कर तभी दिया जा सकता है जब पूरा विपक्ष एक साथ आ जाए.


82 साल से साधुओं को अपने साथ लेकर चल रहा आरएसएस


अरुण शौरी का आरएसएस पर हमला यहीं नहीं रुका. उन्होंने कहा कि आरएसएस 1940 से साधुओं को अपने साथ जोड़ रहा है. साधु समाज में एक प्रभावशाली समूह है और लोग इन्हें फॉलो करते हैं. हमने कभी यह कोशिश नहीं की है कि उन लोगों तक पहुंचकर उन्हें ऐसा करने से रोकें और सुनिश्चित करें कि वे  आरएसएस की विचारधारा को फैलाने का माध्यम न बनें.


(इनपुट : द इंडियन एक्सप्रेस)


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