बीजेपी ने देश की उन 144 लोकसभा सीटों के लिए विशेष रणनीति तैयार की है, जहां मोदी लहर के बावजूद 2014 और 2019 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. इन सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए पार्टी ने प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की भी ड्यूटी लगाई है.
हिंदी बेल्ट की यूपी-बिहार के अलावा पार्टी ने इस बार तेलंगाना और ओडिशा की लोकसभा सीटों पर विशेष फोकस किया है. 2019 के चुनाव में बीजेपी ने 303 सीटों पर जीत दर्ज की थी. सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने मिशन 2024 के लिए 350 सीटों का लक्ष्य रखा है.
144 सीटें जीतने की रणनीति क्या है?
- बीजेपी ने 40 मंत्रियों की अलग-अलग टीम बनाई है, इसे क्लस्टर प्रभारी कहा गया है. हर मंत्री के जिम्मे 2-3 लोकसभा की सीटें सौंपी गई हैं. मंत्रियों को राज्यसभा सांसदों के साथ जिम्मे के लोकसभा क्षेत्रों का दौरा करना है.
- मंत्रियों की टीम भौगोलिक, आर्थिक, समाजिक और जातीय समीकरण का ब्लूप्रिंट तैयार करेगी. निर्वाचन क्षेत्रों में संभावित उम्मीदवारों की पहचान करने का भी जिम्मा मिला है.
- न्यूज एजेंसी एएनआई की खबर के मुताबिक 40 सीटों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेगा रैली करेंगे. इन रैलियों का आयोजन क्लस्टर प्रभारी को करना है. बाकी के बचे 104 सीटों पर अमित शाह और जेपी नड्डा की रैली होगी.
अब 144 सीटों के बारे में विस्तार से जानते हैं...
उत्तर प्रदेश: 20 सीटें, मोदी-योगी की जोड़ी भी कमल नहीं खिला पाई
उत्तर प्रदेश की 20 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां 2019 में मोदी और योगी की जोड़ी भी मिलकर कमल नहीं खिला पाई. इनमें मैनपुरी, रायबरेली, गाजीपुर और अंबेडकरनगर सीटें प्रमुख है.
2022 में यूपी विधानसभा चुनाव में दोबारा जीतने के बाद बीजेपी की फोकस 2024 में यूपी की सभी 80 सीटों पर जीत दर्ज करने की है. 2019 में बीजेपी गठबंधन को 64 सीटों पर जीत मिली थी.
पिछले दिनों पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में हिंदी बेल्ट में परफॉर्मेंस करने के लिए KASHI थीम लॉन्च किया गया था. इसके तहत नेताओं को कश्मीर, अयोध्या, स्कीम्स, गौरव और ईमानदारी को प्रमोट करने के लिए कहा गया था.
बिहार: नीतीश के जाने से 13 सीटों पर परेशानी बढ़ी
2022 में राष्ट्रपति चुनाव के बाद बीजेपी को बिहार में नीतीश कुमार ने बड़ा झटका दिया. नीतीश ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ कर राजद के साथ सरकार बना ली. इसके बाद बिहार में बीजेपी की टेंशन बढ़ गई है.
2019 में नीतीश और बीजेपी की जोड़ी ने 40 में से 39 सीटों पर जीत दर्ज की थी. एनडीए गठबंधन को एक सीट किशनगंज में हार का सामना करना पड़ा था.
नीतीश के जाने के बाद भागलपुर, बांका, गया और सीतामढ़ी जैसे सीटों पर भी पार्टी की मुश्किलें बढ़ गई है. ये वो सीटें हैं, जहां बीजेपी ने 2014 में जीत दर्ज की थी. बीजेपी ने बिहार की 13 सीटों को भी जीतने के लिए विशेष रणनीति तैयार की है.
तेलंगाना: केसीआर का किला ढहाने की तैयारी
दक्षिण भारत में कर्नाटक के बाद बीजेपी की नजर तेलंगाना में ही है. हैदराबाद नगर निगम के चुनाव के बाद ही बीजेपी ने यहां बिगुल फूंक दिया था. 2019 के चुनाव में तेलंगाना की 17 सीटों में से 5 पर बीजेपी को जीत मिली थी.
बीजेपी ने इस बार राज्य की सभी 17 सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य रखा है. 2019 में जिस तरह ममता के गढ़ बंगाल में बीजेपी ने सेंधमारी की थी, उसी तरह इस बार केसीआर का किला ढहाने का लक्ष्य रखा गया है.
बंगाल: संगठन कमजोर, जान फूंकने में लगा हाईकमान
2021 विधानसभा चुनाव में हारने के बाद बंगाल में प्रदेश इकाई कमजोर पड़ गई है. पिछले एक डेढ़ साल में 10 से ज्यादा कद्दावर नेता पार्टी छोड़ चुके हैं. इनमें 7 विधायक ही हैं.
2019 में बीजेपी ने बंगाल की 42 में से 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इनमें अधिकांश सीट नॉर्थ बंगाल की है. पार्टी ने पुराने परफॉर्मेंस को दोहराने के लिए फिर से तैयारी शुरू कर दी है.
बीजेपी ने राज्य की 18 ऐसी सीटों की पहचान की है, जहां इस बार फिर तृणमूल और कांग्रेस को मात दी जा सकती है. इनमें कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी की ब्रह्मपुर सीट भी शामिल है.
तमिनलाडु: 6 सीटों पर बीजेपी की नजर, लेकिन राह आसान नहीं
2019 में तमिलनाडु ही एक ऐसा बड़ा राज्य था, जहां बीजेपी ने एक भी सीट नहीं जीती. यहां बीजेपी टिकट पर मैदान में उतरे केंद्रीय मंत्री तक चुनाव हार गए.
2024 के लिए बीजेपी ने स्ट्रैटजी बदली है. पार्टी ने राज्य की 6 सीटों पर फोकस किया है. वो सीटे हैं- 1. कोयंबटूर, 2. कन्याकुमारी, 3. रामनाथपुरम, 4. शिवगंगा, 5. थूथूकुड्डी और 6. अंडमान निकोबार
यहां द्रविड़ पॉलिटिक्स की वजह से बीजेपी के लिए राह आसान नहीं है. पिछले दिनों ही हिंदी को लेकर तमिलनाडु में केंद्र सरकार के खिलाफ जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन हुआ था.
महाराष्ट्र: महाविकास अघाड़ी का समीकरण बिगाड़ने की तैयारी
2019 में बीजेपी और शिवसेना मिलकर चुनाव महाराष्ट्र का चुनाव लड़ी थी. 48 सीट में से दोनों पार्टी को 41 पर जीत मिली थी. पिछले 3 सालों में महाराष्ट्र का पूरा समीकरण बदल गया है.
शिवसेना पहले एनसीपी और कांग्रेस के साथ आई और अब उसका एक भाग बीजेपी के साथ है. 2024 में बीजेपी को महाराष्ट्र से बड़ी उम्मीदें हैं. पार्टी ने यहां की 23 सीटों पर जीतने के लिए विशेष दलबदल लगाया है.
महाविकास अघाड़ी समीकरण के हिसाब से काफी मजबूत है, लेकिन बीजेपी स्ट्रैटजी अपनाकर एनसीपी के गढ़ बारामती को भी भेदने की तैयारी कर रही है.
ओडिशा: पटनायक से फ्रेंडली फाइट नहीं, सभी सीटों पर मुकाबला होगा
राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी का सपोर्ट करने वाले सबसे पहले नेता थे ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक. पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल ओडिशा की सियासत में करीब 23 सालों से काबिज है.
ओडिशा में लोकसभा की 21 सीटें हैं. 2019 में बीजेपी ने यहां की 8 सीटों पर जीत दर्ज की. इन 8 सीटों के अलावा बीजेपी ओडिशा के 10 सीटों पर फोकस कर रही है. यानी बीजेडी से 18 सीटों पर सीधा मुकाबला होगा.
पिछले चुनाव में पुरी, ढेंकनाल और भदरक तीन ऐसी सीटें थी, जहां बीजेपी के उम्मीदवार 50 हजार वोटों से चुनाव हार गए. पुरी में बीजेपी के सांबित पात्रा बीजेडी के पिनाकी मिश्रा से 11 हजार वोटों से हार गए थे.
कर्नाटक, असम और पंजाब की 4-4 सीटें, झारखंड पर भी फोकस
कर्नाटक, असम और पंजाब में लोकसभा की 4-4 सीटें ऐसी हैं, जिस पर जीतने के लिए बीजेपी ने विशेष रणनीति अपनाई है. कर्नाटक की बेंगलुरु ग्रामीण, हासन, गुलबर्ग और मांड्या सीट पर भी बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी है. पंजाब की अमृतसर, लुधियाना, पटियाला, गुरदासपुर और असम की नावगांव, कालीबोर, धुबरी, बरपेटा सीट पर भी जीतने की तैयारी में है.
इसके अलावा झारखंड पर भी बीजेपी की फोकस है. 2019 लोकसभा चुनाव के बाद झारखंड पहला राज्य था, जहां बीजेपी को हार मिली थी.
उन हॉट सीटों पर भी नजर, जहां कभी नहीं जीती
144 सीटों में देश की कुछ हॉट सीटें भी शामिल हैं, जहां बीजेपी कभी नहीं जीत पाई है. इनमें उत्तर प्रदेश की रायबरेली और मैनपुरी महाराष्ट्र की बारामती पश्चिम बंगाल की यादवपुर तेलंगाना की महबूब नगर और मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा शामिल हैं.