कांग्रेस का दावा- मोदी सरकार ने जबरदस्ती थोपी नोटबंदी, RBI ने खारिज की थी सभी दलीलें
कांग्रेस ने कहा है कि नोटबंदी की घोषणा से कुछ घंटे पहले ही आरबीआई ने मोदी सरकार की दलीलों को नकार दिया था. कांग्रेस ने कहा कि 26 महीने बाद आरटीआई के जरिये उस बैठक का ब्योरा सामने आया है.
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नई दिल्ली: नोटबंदी को लेकर कांग्रेस ने बड़ा दावा किया है. कांग्रेस ने कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से दलीलें खारिज होने के बावजूद मोदी सरकार ने जबरदस्ती नोटबंदी लागू की थी. आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की बैठक के विवरण का हवाला देते हुए कांग्रेस ने कहा कि नोटबंदी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कालेधन पर अंकुश लगने सहित जो कारण गिनाए थे, उन्हें केंद्रीय बैंक ने इस कदम की घोषणा से कुछ घंटे पहले ही नकार दिया था, इसके बावजूद नोटबंदी का फैसला उस पर थोपा गया.
कांग्रेस सत्ता में आई तो करेंगे जांच- कांग्रेस
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड के बारे में आरटीआई से मिली जानकारी का ब्योरा रखते हुए यह भी कहा, ‘’लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार बनी तो नोटबंदी के बाद करचोरी के लिए पनाहगाह माने जाने वाली जगहों पर पैसे ले जाने में असामान्य बढ़ोतरी और देश के बैंकों में असामान्य ढंग से पैसे जमा किए जाने के मामलों की जांच की जाएगी.’’
आरटीआई के जरिए सामने आया बैठक का ब्योरा- कांग्रेस
जयराम रमेश ने आगे कहा, ‘‘ 8 नवंबर, 2016 को रात आठ बजे नोटबंदी की घोषणा हुई. उसी से कुछ घंटे पहले आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड बैठक हुई. उस बैठक में क्या हुआ किसी को पता नहीं चला. आरबीआई के गवर्नर रहते हुए उर्जित पटेल तीन बार संसद की समितियों के समक्ष आए. तीनों बैठकों में उन्होंने यह नहीं बताया कि आरबीआई की बैठक में क्या हुआ था? अब 26 महीने बाद आरटीआई के जरिये उस बैठक का ब्योरा सामने आया है.’’
RBI ने सरकार से कहा था, नोटबन्दी का कालेधन पर फर्क नहीं पड़ेगा- कांग्रेस
जयराम रमेश ने कहा, ‘‘इस बैठक में कहा गया कि कालाधन मुख्य रूप से सोना और रियल स्टेट के रूप में है. इसलिए नोटबन्दी का कालेधन पर कोई बहुत फर्क नहीं पड़ेगा. जाली नोटों के बारे में बहुत बातें की गई थीं, लेकिन बैठक में कहा गया है कि नोटबन्दी से जाली नोटों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. आरबीआई का यह भी कहना था कि नोटबंदी का पर्यटन पर तात्कालिक नकारात्मक असर होगा.’’
कांग्रेस नेता ने दावा किया, ‘‘ नोटबंदी को लेकर जो कारण दिये गए थे, उनको आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड ने नकारा था. इन सबके बावजूद आरबीआई ने कहा कि वह नोटबन्दी के साथ है. इसका मतलब कि आरबीआई पर दबाव डाला गया. नोटबंदी का फैसला उस पर थोपा गया था.’’ उन्होंन आरोप लगाया था कि नोटबंदी एक ‘तुगलकी फरमान’ और ‘घोटाला’ था जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया. एक सवाल के जवाब में रमेश ने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनने पर आरबीआई की स्वायत्तता और उसकी पेशेवर स्वतंत्रता को फिर से बहाल किया जाएगा.
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