BJP Foundation Day: कौन थे बीजेपी के इकलौते मुस्लिम फाउंडर सिकंदर बख्त? जानिए कैसे थामा पार्टी का साथ
Who was Sikandar Bakht: बीजेपी के नेतृत्व में पिछले 10 साल से एनडीए की सरकार है. हालांकि, बीजेपी को यहां तक पहुंचाने में उसके संस्थापकों का बड़ा रोल रहा है.
BJP Foundation Day 2024: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) शनिवार (6 अप्रैल) को अपना 44वां स्थापना दिवस मना रही है. बीजेपी की स्थापना 6 अप्रैल, 1980 को हुई थी. बीजेपी आज दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है. पिछले दो लोकसभा चुनाव में पार्टी ने अकेले ही बहुमत का आंकड़ा पार किया है. ऐसा करने वाली वह कांग्रेस के बाद दूसरी पार्टी रही है. हालांकि, बीजेपी का यहां तक पहुंचने का सफर इतना आसान नहीं रहा है. इसमें उसके कई नेताओं का योगदान है.
बीजेपी की स्थापना करने वाले नेताओं में अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, नानाजी देशमुख शामिल थे. आज के दौर में हर शख्स इन नेताओं के बारे में अच्छी तरह से जानता है. हालांकि, बेहद ही कम लोगों को मालूम है कि बीजेपी की स्थापना करने वाले लोगों में एक मुस्लिम नेता भी शामिल था. इस नेता को वाजपेयी का सबसे अच्छा दोस्त माना जाता था. ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर ये नेता कौन हैं और किस तरह इनकी बीजेपी में एंट्री हुई.
कौन थे बीजेपी के इकलौते मुस्लिम संस्थापक?
दरअसल, हम जिस नेता की बात कर रहे हैं, वो सिकंदर बख्त हैं. उनका जन्म 1918 में दिल्ली में हुआ था. उन्होंने यहां से पढ़ाई की और फिर ब्रिटिश काल में सप्लाई डिपार्टमेंट में नौकरी करने लगे. हालांकि, फिर उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की और 1952 में एमसीडी चुनाव जीता. 1968 में उन्हें दिल्ली इलेक्ट्रिक सप्लाई अंडरटेकिंग का चेयरमैन बनाया गया. हालांकि, 1969 में कांग्रेस दो हिस्सों में बंट गई और सिकंदर बख्त ने कांग्रेस (ओ) का हाथ थाम लिया.
कांग्रेस (ओ) इंदिरा गांधी के खिलाफ थी और फिर जब 1975 में देश में आपातकाल लगा तो सिकंदर को जेल में डाल दिया गया. आपातकाल खत्म होने पर जेल से बाहर आए नेताओं ने इंदिरा के खिलाफ जनता पार्टी का गठन किया. इसमें जनसंघ भी शामिल थी. वहीं, सिकंदर बख्त जनता पार्टी के टिकट पर 1977 के चुनाव में चांदनी चौक से जीत कर संसद पहुंचे. मोरारजी देसाई की सरकार में उन्होंने 1979 तक कैबिनेट मंत्री के तौर पर भी देश को सेवाएं दीं.
कैसे हुई बीजेपी में एंट्री?
जनता दल के नेताओं और जनसंघ के बीच 1979 में टकराव होने लगा और फिर सरकार भी गिर गई. जनसंघ के लोगों ने हिंदूवादी राजनीति को बरकरार रखने को लेकर 6 अप्रैल, 1980 में बीजेपी की स्थापना की. इमरजेंसी के दौर में सिकंदर बख्त की दोस्ती अटल बिहारी वाजपेयी से हुई. जब जनता पार्टी से अलग होकर बीजेपी की स्थापना हुई, तो वह वाजपेयी के साथ बीजेपी में शामिल हो गए. वह उन चुनिंदा नेताओं में शुमार थे, जिन्होंने बीजेपी की नींव रखी थी.
सिकंदर बख्त को बीजेपी का महासचिव बनाया गया और फिर 1984 में वह पार्टी के उपाध्यक्ष पद तक पहुंचे. बीजेपी के शुरुआती दिनों में सिकंदर एकमात्र मुस्लिम चेहरा होते थे. आगे चलकर वह 13 दिन की अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में विदेश मंत्री भी रहे. सिकंदर बख्त 1990 में राज्यसभा पहुंचे और 1992 में उन्हें नेता विपक्ष चुना गया. 2002 में उन्हें केरल का राज्यपाल बनाया गया और इसी दौरान 23 फरवरी 2004 को उनका निधन हो गया.
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