भोपाल: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीतिक जीवन को संजोने में मध्यप्रदेश ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वह प्रदेश से दो बार लोकसभा के लिए चुने गये और 22 साल पहले मध्यप्रदेश में हुई रैली में ही वाजपेयी को पहली बार बीजेपी ने प्रधानमंत्री पद का चेहरा घोषित किया था.

ग्वालियर में जन्मे वाजपेयी ग्वालियर लोकसभा सीट से जनसंघ की टिकट पर साल 1971 में सांसद बने थे. यह शहर राजमहल एवं किलों के लिए मशहूर है. वाजपेयी के विचारों से प्रभावित होकर उनके समर्थकों ने ग्वालियर में एक मंदिर भी बनाया है. इसमें रोज पूजा-अर्चना होती है. इस मंदिर में उनकी तस्वीर रखकर पूजा की जाती है.

वह साल 1991 में हुए आम चुनाव में मध्यप्रदेश की विदिशा लोकसभा सीट से भी सांसद निर्वाचित हुए थे. भारतीय राजनीति के करिश्माई नेता वाजपेयी का लम्बी बीमारी के बाद कल दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया था. बीजेपी के एक नेता ने बताया कि राज्य के आदिवासी बहुल धार जिले के मनावर में हुई एक रैली में वाजपेयी को पहली बार बीजेपी ने प्रधानमंत्री का चेहरा घोषित किया था.

बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा ने बताया, ‘‘हां, मैं उस ऐतिहासिक रैली में मौजूद था और इसका साक्षी हूं. यह रैली धार जिले में हुई थी और इसमें बड़ी तादाद में आदिवासी लोग उपस्थित थे. साल 1996 में हुई इस रैली में बीजेपी के पितामह कहे जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी ने पहली बार घोषणा की थी कि यदि बीजेपी सत्ता में आएगी, तो वाजपेयी प्रधानमंत्री बनेंगे.’’

उस वक्त मध्यप्रदेश मीडिया प्रभारी रहे झा ने कहा, ‘‘वह खबर समूचे देश में फैल गई थी. उसी साल (साल 1996 में) वाजपेयी प्रधानमंत्री बन गये. यह साबित करता है कि आडवाणी जी विजनरी नेता हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘आडवाणी जी ने धार जिले के दूरदराज वाले आदिवासी इलाके मनावर में यह घोषणा करके सबको आश्चर्यचकित कर दिया था. लेकिन, अगले दिन पूरे देश के मीडिया में यह खबर सुर्खियों में रही थी.’’

इसी बीच, मध्यप्रदेश बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने बताया कि आडवाणी के ये शब्द सही साबित हुए और वाजपेयी पहली बार साल 1996 में 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने. इसके बाद वह दूसरी बार साल 1998 में 13 महीने के लिए प्रधानमंत्री बने और फिर तीसरी बार 1999 में पूरे पांच साल के लिए प्रधानमंत्री बने.’’

कवि से राजनीतिज्ञ बने अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को ग्वालियर के शिन्दे की छावनी में हुआ था. उनके पिता का नाम पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी एवं माता का नाम कृष्णा वाजपेयी था. प्रारंभिक शिक्षा श्योपुर में करने के बाद अटल जी ने अपनी आगे की शिक्षा ग्वालियर से की थी. हिन्दी के प्रति वाजपेयी के प्रेम से प्रेरित होकर उनके एक समर्थक अधिवक्ता विजय सिंह चौहान ने ग्वालियर के ‘सत्यनारायण की टेकरी’ पर ‘हिन्दी माता मंदिर’ बनाया है. इसके बाद चौहान ने इसके पास ही 1995 में अटल बिहारी वाजपेयी के मंदिर का निर्माण भी कराया.

चौहान ने कहा, ‘‘हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में वाजपेयी जी द्वारा हिन्दी में दिये गये भाषण से मैं इतना प्रभावित हुआ था कि मैं मंदिर के अंदर वाजपेयी जी की तस्वीर रखकर प्रतिदिन उनकी पूजा किया करता था.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं 14 सितम्बर को हर साल हिन्दी दिवस मनाता हूं. इसके अलावा, मैं 25 दिसम्बर को वाजपेयी का जन्मदिन भी मनाता हूं.’’

साल 1984 में हुए लोकसभा चुनाव में ग्वालियर सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार एवं ग्वालियर राजघराने के वंशज माधवराव सिंधिया से हारने के बाद वाजपेयी ने वर्ष 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में दो सीटों उत्तरप्रदेश की लखनऊ और मध्यप्रदेश की विदिशा से चुनाव लड़ा था. वह इन दोनों सीटों से भारी बहुमत से जीत गये थे, लेकिन उन्होंने विदिशा की बजाय लखनऊ सीट चुनी थी, क्योंकि वह वहां से ज्यादा मतों से जीते थे.


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