नई दिल्लीः बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बी एस येदुरप्पा ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है और अब ये दावा कर रही है कि जल्द ही सदन में बहुमत भी साबित कर दिया जाएगा. लेकिन इस मामले की सुनवाई अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार तड़के सुबह तक चली सुनवाई के बाद शपथ ग्रहण पर रोक भले ही न लगाई हो लेकिन नोटिस जारी कर जवाब मांगा है कि आखिर येदुरप्पा की तरफ से राज्यपाल को चिट्ठी के मार्फ़त 15 और 16 मई को क्या बताया गया था. जिसको आधार मानकर राज्यपाल ने येदुरप्पा को सरकार गठन का न्योता दे दिया.


सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को होने वाली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के वकील सुप्रीम कोर्ट में वो चिट्ठियां पेश करेंगे जिसके आधार पर राज्यपाल ने येदुरप्पा को सरकार गठन का न्योता दिया था.


सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बीजेपी की तरफ से जो चिट्ठी राज्यपाल को भेजी गई थी उसमें सिर्फ इतना बताया गया था कि बीजेपी के 104 विधायक जीत चुके हैं और अब बीजेपी सबसे बड़ा दल के तौर पर सामने आ चुकी है लिहाजा इस आधार पर उसको सरकार बनाने का मौका मिलना चाहिए.


शुक्रवार को जब सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक में सरकार बनाने के मुद्दे पर सुनवाई होगी तो बीजेपी और येदुरप्पा के वकील कोर्ट में दलील देते हुए ये बताने की कोशिश करेंगे कि बीजेपी की तरफ से राज्यपाल के पास जो चिट्ठी भेजी गई थी उसमें विधायकों की संख्या और नाम की जानकारी देने की जरूरत है ही नहीं.


दलीलों के ज़रिए बताने की कोशिश होगी कि संविधान के मुताबिक ना तो राज्यपाल को और ना ही अदालत को यह बताने की जरूरत है कि सबसे बड़े दल के पास कितने विधायकों का समर्थन मौजूद है क्योंकि इस बात का फैसला तो फ्लोर टेस्ट के दौरान ही होता है.


सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई के दौरान बीजेपी और येदुरप्पा की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में यही साबित करने की कोशिश रहेगी कि राज्यपाल ने येदुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता देकर किसी भी तरह से संविधान का उल्लंघन नहीं किया है. क्योंकि संविधान में ऐसे मामलों में राज्यपाल को अपने विवेक के आधार पर हालातों को देखते हुए फैसला लेने का अधिकार है क्योंकि हर राज्य की अपनी स्थिति और राजनैतिक हालात होते हैं और राज्यपाल को उनको देखकर ही फैसला लेना पड़ता है.


हालांकि बीजेपी से जुड़े लोग भी ये बात जरूर मान रहे हैं कि शुक्रवार को होने वाली सुनवाई के बाद अदालत बहुमत सिद्ध करने के लिए राज्यपाल की तरफ से जो 15 दिन का वक़्त दिया गया था उसमें कुछ दिनों की कटौती ज़रूर कर सकती है. इस बीच अब येदुरप्पा सरकार की कोशिश होगी कि फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित कर पाएं, वर्ना उनका नाम इतिहास में कुछ दिन के सीएम के तौर पर दर्ज हो जाएंगा.