अगरतला: त्रिपुरा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उसकी सहयोगी पार्टी इंडिजिनियस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के चुने गए विधायक अपना नेता चुनने के लिए आज सुबह 11 बजे बैठक करेंगे. बैठक में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद होंगे. सीएम पद के लिए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बिप्लब कुमार देब का नाम सबसे आगे है.
ऐतिहासिक जनादेश पाने वाली बीजेपी के राज्य में 35 विधायक हैं, वहीं आईपीएफटी के आठ विधायक हैं. शपथ ग्रहण समारोह आठ मार्च को होगा जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कुछ अन्य केंद्रीय मंत्रियों के आने की उम्मीद है.
कैसा रहा राज्य का चुनावी गणित
त्रिपुरा में 60 सदस्यीय विधानसभा की 59 सीटों के लिए 18 फरवरी को मतदान हुआ. सीपीआई (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया) के एक उम्मीदवार के निधन के कारण एक सीट पर चुनाव रद्द हो गया था. आपको बता दें कि राज्य में बीते 25 सालों से लेफ्ट की सरकार थी जो बीते 20 सालों से माणिक सरकार के नेतृत्व में शासन कर रही थी.
साल 2018 का ये चुनाव इसलिए ऐतिहासिक हैं क्योंकि बीजेपी के ऊपर लगे भगवा पार्टी का ठप्पा पूरी तरह से हट गया है. दरअसल पार्टी को पूर्वोत्तर में हमेशा ही नकारा गया है. लेकिन ये पहला ऐतिहासिक मौका है जब बीजेपी अपने दम पर त्रिपुरा जैसे राज्य में सरकार बनाएगी. ये इसलिए भी अहम है क्योंकि देश में लेफ्ट के जो तीन गढ़ थे उनमें त्रिपुरा बेहद अहम था.
लेफ्ट पार्टियों के हाथ से बंगाल कब का निकल चुका है. अब ये पार्टी महज़ केरल में सिमटकर रह गई है. वहीं बीते दिनों राजस्थान और मध्य प्रदेश में हुए उपचुनावों की वजह से बीजेपी के मनोबल में जो कमी आई होगी उसके लिए त्रिपुरा की जीत किसी वरदान से कम साबित नहीं होने वाली. इस जीत से लबरेज बीजेपी अब 2019 के आम चुनावों में पूरे दम खम के साथ कूंच करेगी.
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