नई दिल्ली: आज सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए एक साथ तीन तलान कहने को असंवैधानिक घोषित कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मुस्लिमों में तीन तलाक के जरिए दिए जाने वाले तलाक की प्रथा ‘अमान्य’, ‘अवैध’ और ‘असंवैधानिक’ है. कोर्ट के इस आदेश से मुस्लिम महिलाओं को बड़ी राहत मिली है.


प्रधानमंत्री मोदी का भी योगदान
मुस्लिम महिलाओं की इस लड़ाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का योगदान नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से कहा था, ''इस आंदोलन को चलाने वाली मेरी बहनों को जो तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं, मैं हृदय से उनका अभिनंदन करता हूं और मुझे विश्वास है कि माताओं बहनों को अधिकार दिलाने में हिंदुस्तान उनकी पूरी मदद करेगा.''


यूपी चुनाव के दौरान भी ट्रिपल तलाक मुद्दा बना
मोदी सरकार से पहले किसी भी सरकार ने ट्रिपल तलाक को बेहद संवेदनशील और मज़हब से जुड़ा मुद्दा मानकर इसे छूने की हिम्मत नहीं की लेकिन नरेंद्र मोदी शुरू से ही ट्रिपल तलाक के खिलाफ हर मंच पर बोलते रहे. यूपी चुनाव के दौरान भी उन्होंने खुलकर ट्रिपल तलाक का विरोध किया था.


दरअसल यूपी चुनाव में ट्रिपल तलाक को मुद्दा बनाने का बड़ा फायदा बीजेपी को मिला, हालांकि इसका कोई सबूत नहीं है लेकिन आंकड़ों के गणित में ये बात नज़र आती है. यूपी की 134 सीटें जहां पर मुस्लिमों की संख्या 20 फीसदी या उससे ज्यादा हैं, उनमें से 101 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की.


साफ है इन सीटों पर मुस्लिम वोट निर्णायक भूमिका में थे और बीजेपी की जीत कहीं ना कहीं बताती है कि मुसलमान वोट बैंक में सेंधमारी हो चुकी थी. अब सवाल ये है कि क्या ट्रिपल तलाक के रूप में बीजेपी को मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी करने का हथियार मिल चुका है.


क्या बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनाव तक ट्रिपल तलाक को मुद्दा बनाए रखेगी ?
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष पहले साफ कर दिया था कि वो ट्रिपल तलाक के खिलाफ है. अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सरकार का पक्ष मज़बूत हो गया है. ज़ाहिर इसका फायदा वो आने वाले चुनाव में उठाने से नहीं चूकेगी. अगर इसे भविष्य की राजनीति से जोड़कर देखें तो मुस्लिम महिलाओं के हक में अगर कानून बनता है तो इसका असर 2019 में लोकसभा चुनाव पर जरूर पड़ सकता है.


अन्य पार्टियां भी फायदा लेने की कोशिश करेंगी
हालांकि सिर्फ बीजेपी इकलौती पार्टी नहीं है जो ट्रिपल तलाक को राजनीतिक मुद्दा बनाएगी. चूंकि लोकसभा चुनाव में अब दो साल से भी कम का वक्त बचा है ऐसे में बहुत संभावना है कि पार्टियां तीन तलाक के मुद्दे को लटकाकर चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश करें. क्योंकि राजनीति में वक्त और मुद्दे की ही कीमत होती है. हालांकि खुद नरेंद्र मोदी कई बार कह चुके हैं कि ट्रिपल तलाक का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए.


अमित शाह ने 2019 के लिए रखा 360+ सीटों का लक्ष्य
अभी कुछ दिनों पहले ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने एक मीटिंग बुलाई थी और उसमें 2019 लोकसभा चुनाव के लिए 360 से भी ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया था. ज़ाहिर है ट्रिपल तलाक के मुद्दे ने भी इस लक्ष्य को तय करने में अहम भूमिका जरूर निभायी होगी.


बीजेपी ने यूपी चुनाव में अपने संकल्प पत्र में ये कहा था कि ट्रिपल तलाक पर सभी महिलाओं के विचारों को सुप्रीम कोर्ट में रखा जाएगा और आज सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए एक झटके में दिए जाने वाले तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया है.