पटना/नई दिल्ली: लालू और उनके परिवार पर लगे आरोपों और सीबीआई और ईडी के छापों के बाद बिहार की राजनीति में आए उफान के बीच आज जब नीतीश की कैबिनेट की बैठक हुई तो उसमें सीएम के साथ उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी शरीक रहे. कैबिनेट की मीटिंग महज़ 25 मिनट ही चली. कैबिनेट मीटिंग के बाद तेजस्वी यादव जमकर मोदी और अमित शाह पर बरसे, लेकिन नीतीश खामोश ही रहे.
नीतीश हैं कि मीडिया से दूरी बना रहे हैं और कैमरे पर मुस्कुराकर प्रणाम कर रहे हैं. उनकी यही खामोशी और मुस्कुराहट सवाल खड़ा कर रही है आखिर वो चाहते क्या हैं?
तेजस्वी का हमला
लालू के लाल तेजस्वी मीडिया समेत बीजेपी पर साजिश रचने की तोहमत लगा रहे हैं. तेजस्वी ने कैबिनेट बैठक के बाद कहा कि बीजेपी इस 28 साल के जवान से डर गई है और महागठबंधन और परिवार के खिलाफ साजिश कर रही है.
पिछड़ा कार्ड खेलते हुए तेजस्वी यादव ने अपने बचाव में कहा कि जिस वक्त का आरोप है उस वक्त वो बच्चा थे. उन्होंने कहा, “किस बात के लिए हमें सजा दी जा रही है. मैंने कोई गलत काम नहीं किया, 13, 14 साल का बच्चा राजनीतिक षड्यंत्र करेगा. अब जब मैं डिप्टी सीएम बना, सही काम कर रहा हूं तो फंसाया जा रहा है.” तेजस्वी ने पूछा, "जिस कथित घोटाले की बात की जा रही है उस वक़्त मेरी मुंछें भी नहीं आई थी, क्यों मैं उस वक्त गलत काम करता."
हालांकि, कैबिनेट की बैठक के बाद तेजस्वी जब मीडिया से मुखातिब हुए तो बीजेपी, मोदी और अमित शाह पर खूब बरसे, लेकिन इस्तीफे के सवाल पर चुप्पी साध ली. दिलचस्प ये है कि साल 2008 में तत्कालीन रेलमंत्री लालू यादव के खिलाफ होटल घोटाले को उजागर करने वाले नीतीश के मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह भी अब चुप हैं.
आरोप लगाने वाले भी साथ हो गए
आज की लड़ाई की नींव 2008 में उस वक्त रखी गई थी जब नीतीश बीजेपी के साथ थे. शरद यादव, ललन सिंह, शिवानंद तिवारी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलकर लालू यादव के खिलाफ मेनोरेन्डम सौंपा था. शिकायत में लिखा था कि लालू यादव ने रेल मंत्री रहते पद का दुरुपयोग करते निजी ज़मीन के बदले रेलवे के दो होटलों की ज़मीन उनके हवाले कर दी. आज वही शिकायतकर्ता सीबीआई जांच पर बोलने को तैयार नहीं. पाला बदल चुके शिवानंद तिवारी के सुर बदल गए. अब वो लालू के बचाव में आ गए हैं.
नीतीश नरम, पार्टी अक्रामक
दागी मंत्री के साथ कैबिनेट की बैठक करने वाले नीतीश मुस्कुरा रहे हैं पर उनकी पार्टी अब आक्रमक हो रही है. नीतीश की पार्टी के प्रवक्ता आरजेडी के बयान सुनकर सुनकर पक गए थे अब उल्टा आरजेडी के पाले में गेंद फेंककर उनकी परेशानी बढ़ा दी है. डॉक्टर अजय आलोक तो नसीहत ही नहीं दे रहे बल्कि साफ कह रहे हैं कि तेजस्वी को इस्तीफा दे देना चाहिए.
नीतीश के सामने विकल्प क्या हैं?
राजनीतिक विश्लेषकों के हिसाब से नीतीश के पास तीन विकल्प हैं. पहला- नीतीश लालू को समझाए की तेजस्वी को इस्तीफा दे देना चाहिए. दूसरा- अगर इस्तीफा नही देंगे तो बर्खास्त करना मज़बूरी होगी हालांकि ये अंतिम फैसला होगा. ये तब सम्भव है जब नीतीश गठबंधन से अलग होने का फैसला कर लें. तीसरा रास्ता- जैसे चल रहा है चलने दें, लेकिन यहां नीतीश के सामने चुनौती है.
नीतीश की पार्टी के अनेक नेताओं की राय लालू से अलग हो जाने की है. बैठक में नेताओं ने लालू के साथ होने से हो रहे नुकसान के बारे में बताया. नीतीश के लिए राहत की बात ये है कि उनके लिए एनडीए के भी दरवाज़े खुले हैं.