अभिषेक सिंघवी ने मांगा जवाब: ‘सरकार आर्थिक पैकेज कब देगी? जब लोग कोरोना से नहीं, भूख से मर जाएंगे तब?’
'e-शिखर सम्मेलन' में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी और बीजेपी सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने सवालों के जवाब दिए.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस संकट के बीच आपके चैनल एबीपी न्यूज़ ने 'e-शिखर सम्मेलन' आयोजित किया है. इस दौरान एक्सपर्ट्स से इकॉनमी को उबारने का क्या प्लान है इस पर राय ली जाएगी. इसके अलावा लॉकडाउन व सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी ली जाएगी. 'e-शिखर सम्मेलन' में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी और बीजेपी सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने सवालों के जवाब दिए.
शिखर सम्मेलन में कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने पूछा कि सरकार आर्थिक पैकेज कब देगी? जब लोग कोरोना से नहीं, भूख से मर जाएंगे तब? सरकार को राहत पैकेज देने में वक्त क्यों लग रहा? इस सवाल पर जयंत सिन्हा ने कहा कि जहां जरुरी है वहां हमने राहत पहुंचाई है.
सोशल मीडिया पर कल से अभिषेक मनु सिंघवी के कांग्रेस छोड़ने की अफवाह चल रही है. बीजेपी में जाने के सवाल पर अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस तरह के सवालों का जवाब देने का मतलब कि और उलझना. हां बोलो तो तीन और सवाल और ना बोलो तो दो और सवाल. इसलिए मैं इसमें पड़ना ही नहीं चाहता, आप मेरे ट्वीट्स देख लीजिए.
जहां जरूरत है वहां राहत दी जा रही है जयंत सिन्हा
बीजेपी नेता जयंत सिन्हा ने कहा, ''जहां तक लॉकडाउन से निकलने के प्लान का सवाल है उसका जवाब लॉकडाउन 3.0 के साथ ही आ चुका है. राज्यों को तय करना है कि कौन से जोन रेड जोन हैं और कहां छूट देनी है. दिल्ली में कंटेनमेंट जोन में आ गए हैं. जहां-जहां केस नहीं आ रहे हैं वहां हम इलाके खोलते जा रहे हैं. सरकार की ओर से लगातार आर्थिक राहत देने का काम किया जा रहा है. जहां-जहां जरूरत है वहां राहत दी जा रही है.''
लॉकडाउन अलग चीज है और आर्थिक पैकेज अलग- सिंघवी
सिंघवी ने कहा कि ''हमारी पार्टी जो कह रही है वो सकारात्मक दृष्टिकोण से कह रही है. किसी प्रधानमंत्री को किसी भी समय इतना समर्थन नहीं मिला होगा जितना आज मिला है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि जायज मांग न की जाए. उन्होंने कहा, लॉकडाउन अलग चीज है और आर्थिक पैकेज अलग चीज है. लॉकडाउन किसी भी तरह का कोई हल नहीं है, इसका आर्थिक पैकेज से कोई लेना देना नहीं. दुनिया के तमाम देशों ने अपनी जीडीपी का बहुत बड़ा हिस्सा दिया. हमने मांग की कि जीडीपी का कम से कम 5% तो दो.''
जयंत सिन्हा ने कहा कि अभिषेक जी का जो विश्लेषण है वो परिस्थिति के हिसाब से गलत है. यह कहना कि किसी भी देश ने इतना खर्च किया है हमें भी उतना खर्च करना चाहिए वो गलत है. जिन देशों ने बड़े-बड़े पैकेज का एलान किया है वो इस महामारी को कंट्रोल करने में नाकाम रहे हैं. अगर हम लोग दूसरे देशों से तुलना करें जो सफल रहे हैं तो यह भारत जैसा ही है.
कांग्रेस नेता सिंघवी ने कहा कि कोरोना के केस में दिन दुगनी रात चौगनी तरक्की कर रहे हैं. मौद्रिक नीति की कई सीमाएं होती हैं. लोग लोन नहीं ले रहे हैं. अर्थव्यवस्था को राजकोषीय इंजेक्शन की जरूरत है. लोग लोन नहीं ले रहे हैं आंकड़े इसकी बात कह रहे हैं. मार्केट में डिमांड ही नहीं है इसलिए लोग लोन नहीं लेंगे.
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