नई दिल्ली: बीजेपी नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के लिए चुनाव आयोग से एक अनोखी मांग की है. अश्विनी ने कहा कि ईवीएम मशीन पर से पार्टियों के सिंबल हटाकर उम्मीदवारों के नाम, फोटो और शैक्षिक योग्यता का विवरण दिया जाए. इसके पीछे उनका तर्क है कि इससे हर प्रत्याशी के साथ समानता का बर्ताव होगा. उन्होंने कहा कि अभी निर्दलीय उम्मीदवारों को प्रमुख पार्टियों के सिंबल पर चुनाव लड़ने वालों से नुकसान उठाना पड़ता है.
चुनाव आयोग में दाखिल 21 पेज की याचिका में उपाध्याय ने मुख्य चुनाव आयुक्त से आर्टिकल 324 के अधिकारों का उपयोग करते हुए ईवीएम से पार्टियों के चुनाव चिन्ह हटाने की मांग की है.
उपाध्याय का कहना है कि कई बार पार्टियां गलत उम्मीदवार उतारती हैं. पार्टी और उसके अध्यक्ष को पसंद करने पर मतदाता गलत उम्मीदवार को भी वोट देने को मजबूर होता है.यही वजह है कि ज्यादातर उम्मीदवार अपनी क्षमताओं नहीं बल्कि पार्टी के चुनाव चिह्न् के आधार पर जीत जाते हैं जिससे चुनाव से जुड़ी मंशा प्रभावित होती है.
उपाध्याय का दावा है कि उनके फॉर्मूले को अपनाने से टिकट वितरण में राजनीतिक दलों के प्रमुखों की मनमानी खत्म होगी, वे सही उम्मीदवार उतारने को मजबूर होंगे. उम्मीदवार आधारित चुनाव प्रक्रिया होने से अच्छे जनप्रतिनिधि मिलेंगे. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया को अपनाने से भ्रष्टाचार, अपराधीकरण, जातिवाद, संप्रदायवाद और भाई-भतीजावाद खत्म होगा.
उपाध्याय ने चुनाव सुधारों से जुड़ी लंबित सिफारिशें भी लागू करने की मांग की. उपाध्याय का कहना है कि हमारे संविधान में सांसद और विधायक का जिक्र है मगर राजनीतिक दलों और चुनाव चिन्हों के बारे में बात नहीं है, मगर चुनाव प्रक्रिया राजनीतिक दलों के हिसाब से चल रही है.
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