नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विपक्ष लगातार विरोध कर रहा है. वहीं भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि विपक्ष लोगों को गुमराह कर रहा है. हालाकि अब इस कानून को लेकर भारतीय जनता पार्टी के अंदर ही विरोध के सुर सुनाई दे रहे हैं. बीजेपी के एक नेता ने ही इस कानून पर सवाल उठाया है. महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रपौत्र और भारतीय जनता पार्टी के पश्चिम बंगाल के नेता चंद्र कुमार बोस ने नागरिकता संसोधन कानून पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि भारत वह देश है जो सभी धर्मों के लिए है.


चंद्र कुमार बोस ने ट्वीट किया,'' अगर नागरिकता संशोधन कानून किसी धर्म से संबंधित नहीं है तो हम उसमें क्यों कह रहे हैं - हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, पारसी और जैन ही! मुस्लिम को भी शामिल क्यों नहीं किया? पारदर्शिता होनी चाहिए, " उन्होंने कहा,'' भारत की तुलना किसी अन्य राष्ट्र से नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह देश सभी धर्मों और समुदायों के लोगों के लिए है, "





बता दें कि चंद्र कुमार बोस ने इस कानून पर अपनी असहमति ऐसे वक्त में दर्ज करवाया है जब बीजेपी सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर जनजागरण अभियान चला रही है. पार्टी अपने कैडर के माध्यम से मुस्लिम समुदाय तक पहुंचने और कानून का बचाव करने की पहगल कर रही है.


क्या है नागरिकता संशोधन कानून?


भारत देश का नागरिक कौन है, इसकी परिभाषा के लिए साल 1955 में एक कानून बनाया गया जिसे 'नागरिकता अधिनियम 1955' नाम दिया गया. मोदी सरकार ने इसी कानून में संशोधन किया है जिसे 'नागरिकता संशोधन बिल 2016' नाम दिया गया है. पहले 'नागरिकता अधिनियम 1955' के मुताबिक, वैध दस्तावेज होने पर ही लोगों को 11 साल के बाद भारत की नागरिकता मिल सकती थी.


किन देशों के शरणार्थियों को मिलेगा फायदा?


इस कानून के लागू होने के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी यानी हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी. मतलब 31 दिसंबर 2014 के पहले या इस तिथि तक भारत में प्रवेश करने वाले नागरिकता के लिए आवेदन करने के पात्र होंगे. नागरिकता पिछली तिथि से लागू होगी.


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