नागरिकता कानून लागू करने वाला पहला राज्य बनेगा बंगाल, नहीं रोक पाएंगी CM ममता- दिलीप घोष
नागरिकता कानून बनने के बाद बीजेपी और विपक्षी दल आमने सामने हो गए हैं. एक तरफ जहां बीजेपी दावा कर रही है कि इसे सभी राज्य में लागू करवाया जाएगा वहीं कई विपक्षी मुख्यमंत्रियों का कहना है कि वह इस कानून को अपने राज्य में लागू नहीं होने देंगे.
कोलकाताः पश्चिम बंगाल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष दिलीप घोष ने राज्य में नागरिकता संशोधन कानून लागू करने को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि पश्चिम बंगाल इस कानून को लागू करने वाला पहला राज्य होगा. इस दौरान दिलीप घोष ने कहा कि न तो ममता बनर्जी और न हीं उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) राज्य में इसे लागू होने से रोक पाएगी. यह कानून राज्य में लागू होकर रहेगा.
बंगाल प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष ने कहा, "इससे पहले उन्होंने (ममता बनर्जी) अनुच्छेद 370 और नोटबंदी का भी विरोध किया था, लेकिन वे केन्द्र सरकार को इसे लागू करने से नहीं रोक पाए. ऐसे ही राज्य में नया नागरिकता कानून लागू होकर रहेगा."
नागरिकता कानून को लेकर राज्यपाल का बयान
वहीं राज्य के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा, ''यह अब विधेयक नहीं...कानून बन चुका है. संसद ने विधेयक को पारित कर दिया, जिसके बाद राष्ट्रपति ने अपनी संस्तुति दे दी है. इसलिए, एक मुख्यमंत्री जो संवैधानिक पद पर हैं और जिन्होंने भारतीय संविधान की शपथ ली है, वह ये नहीं कह सकती हैं कि वह कानून को लागू नहीं करेंगी.''
नागरिकता कानून पर ममता बनर्जी का बयान
गौरतलब है कि नए संशोधित कानून को लेकर ममता बनर्जी ने कहा, ''हम कभी भी राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और नागरिकता कानून को बंगाल में नहीं आने देंगे. हम संशोधित कानून को लागू नहीं करेंगे, भले ही इसे संसद ने पारित किया है. बीजेपी राज्यों को इसे लागू करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती.''
ममता बनर्जी ने दोहराया कि संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ उनकी लड़ाई 'स्वतंत्रता की दूसरी लड़ाई' है. बनर्जी ने कहा कि कानून में संशोधन वापस लेने की मांग को लेकर वह सड़क पर उतरेंगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार 'विभाजनकारी और क्रूर' कानून को लागू करने में केंद्र का सहयोग नहीं करेगी.
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