नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व नेता और हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए जितिन प्रसाद ने कपिल सिब्बल के उस बयान पर पलटवार किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जितिन का बीजेपी का दामन थामना ‘प्रसाद की राजनीति’ है. जितिन प्रसाद ने कहा है कि जब महाराष्ट्र में कांग्रेस ने शिवसेना के साथ गठबंधन किया था, तब पार्टी की क्या विचारधारा थी?


एनडीटीवी से बातचीत में जितिन प्रसाद ने कहा, ‘’कपिल सिब्बल बहुत वरिष्ठ नेता हैं. कांग्रेस की कोई विचारधारा नहीं है. जब कांग्रेस ने शिवसेना के साथ गठबंधन किया था तो क्या विचारधारा थी? जब कांग्रेस ने बंगाल में वामपंथियों के साथ गठबंधन किया तो क्या विचारधारा थी? जबकि केरल में वह वामपंथियों के साथ लड़ रहे थे.’’


किसी व्यक्ति के चलते नहीं छोड़ी कांग्रेस- जितिन


वहीं, जितिन ने कहा कि मैंने कांग्रेस किसी व्यक्ति के चलते या किसी पद के लिए नहीं छोड़ी. मेरे कांग्रेस छोड़ने का कारण यह था कि पार्टी और लोगों के बीच सम्पर्क टूट रहा है और यही कारण है कि उत्तर प्रदेश में इसका वोट प्रतिशत कम हो रहा है और पार्टी को फिर से पटरी पर लाने के लिए कोई योजना नहीं है.


उन्होंने कहा कि कांग्रेस में रहते हुए वह अपने लोगों के हितों की रक्षा नहीं कर सके. उन्होंने कहा कि वह बीजेपी में रहकर इसे हासिल करेंगे. उन्होंने बीजेपी को देश में एकमात्र संस्थागत राष्ट्रीय पार्टी बताया. मैं लोगों की सेवा करना चाहता हूं, उनके लिए काम करना चाहता हूं और बीजेपी में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मैं ऐसा कर पाऊंगा.


कपिल सिब्बल ने क्या कहा था?


जितिन के बीजेपी में शामिल होने पर सिब्बल ने एक ट्वीट कर सवाल किया कि क्या जितिन प्रसाद को बीजेपी से ‘प्रसाद’ मिलेगा? उन्होंने कहा कि पत्र लिखने वाले नेताओं ने जो मुद्दे उठाए थे, अगर उन पर नेतृत्व की प्रतिक्रिया से अप्रसन्न होकर जितिन प्रसाद पार्टी से अलग होते तो यह उनका निजी मामला था, लेकिन वह बीजेपी में क्यों गए? एक इंटरव्यू में सिबब्ल ने कहा, ‘’जब तक हम कांग्रेस में हैं और कांग्रेस की विचारधारा को अपनाए हुए हैं, तब तक हम 22 नेता और कई दूसरे भी कांग्रेस को मजबूत करने के लिए मुद्दे उठाते रहेंगे.’’


मरते दम तक कांग्रेस नहीं छोड़ूंगा- सिब्बल


सिब्बल ने यह भी कहा कि अगर जीवन के किसी मोड़ पर कांग्रेस ने उन्हें पूरी तरह अनुपयोगी भी मान लिया, तो वह पार्टी छोड़ने पर विचार कर सकते हैं, लेकिन कभी बीजेपी में नहीं जाएंगे क्योंकि ऐसा उनकी लाश पर ही हो सकता है.


बता दें कि जितिन प्रसाद भी सिब्बल के साथ उन 23 नेताओं के समूह में शामिल थे जिसने पिछले साल अगस्त में सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में सक्रिय नेतृत्व और व्यापक संगठनात्मक बदलाव की मांग की थी.