भाजपा नेता किरीट सोमैया और उनके बेटे नील सोमैया की मुसीबतें कम होने का नाम नही ले रहीं हैं. सोमैया पर आरोप है कि युद्ध पोत INS विक्रांत को बचाने के लिए उन्होंने करीब 57 करोड़ रुपए जमा किए थे और उन्होंने इन पैसों को राज्यपाल कार्यालय में जमा ना कर उसका गबन किया.


जमानत याचिका हुई खारिज
इस मामले में जब मुंबई पुलिस ने उनके ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया, उसके बाद गिरफ़्तारी से बचने के लिए उन्होंने मुंबई सत्र न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया और अग्रिम जमानत अर्जी दायर की हालांकि कोर्ट ने किरीट सोमैया की अर्ज़ी को खारिज कर दिया है. इसी मामले में आज किरीट सोमैया के बेटे नील सोमैया की अर्जी भी कोर्ट ने ख़ारिज कर दी है.


किरीट सोमैया के वकील पावनी चड्ढा ने बताया कि, हम हाईकोर्ट में जाएंगे और अपना पक्ष रखेंगे. किरीट सोमैया के वकील ने सुनवाई के दौरान कोर्ट में कहा कि 57 करोड़ जमा करने के जो आरोप लगाए जा रहे हैं वो गलत हैं. उस समय हम सिर्फ 11 हजार रुपए जमा कर पाए थे और कहा कि राज्यपाल के पास ऐसा कोई कोष नहीं था, जिसके कारण वो पैसे उन्होंने अपनी पार्टी को दे दिए थे.


मनी लॉन्ड्रिंग के लगे आरोप
इसके बाद विशेष सरकारी वकील प्रदीप घरत ने कोर्ट में कहा की 57 करोड़ की हो या 11 हजार की INS विक्रांत के नाम से पैसे जमा हुए तो उन पैसों का इस्तेमाल सिर्फ़ INS विक्रांत के लिए ही होना चाहिए था और अगर ऐसा नहीं हुआ है तो इसका मतलब यह है कि इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग हुई है. घरत ने बताया कि कानून के मुताबिक़ अगर आपको पैसा जमा कराना है तो आपको लाइसेंस लेना होता है. अगर पैसे जमा किए तो क्या इन्होंने कंपीटेंट ऑथारिटी से परमिशन ली थी? और जो पैसे जमा किए थे उसकी रसीद दी थी क्या? अगर राजभवन में देने के लिए जमा किए थे तो वहां दिए क्या? और अगर राजभवन में नही दिए तो पैसे कहां गए?


घरत ने कोर्ट को बताया कि इन सारी बातों की जानकारी लेने के लिए इनकी कस्टडी की आवश्यकता है. वहीं इस मामले में शिकायतकर्ता के वकील संदीप सिंह ने कहा कि, उन्होंने खुद 2000 हजार रुपए का चंदा दिया था और सिर्फ 11 हजार जमा करने की बात झूठी है क्योंकि उस दौरान खुद उन्होंने ट्वीट कर 140 करोड़ जमा करने की बात कही थी. 


पूछताछ के लिए दोबारा समन
जब इस मामले की जांच EOW के पहले ट्रॉम्बे पुलिस कर रही थी तभी किरीट सोमैया को पुलिस ने समन भेजा था, लेकिन तब वो नहीं गए और समय की मांग की. जिसके बाद अब EOW ने उन्हें समन भेज पूछताछ के लिए उपस्थित रहने को कहा है. जल्द सोमैया से इस मामले में पूछताछ हो सकती है. 


कैसे दर्ज हुआ मामला?
बबन भोंसले जो कि पूर्व सैनिक हैं उन्होंने भाजपा नेता और पूर्व सांसद किरीट सोमैया के खिलाफ FIR दर्ज करवाई, अपने बयान में भोंसले ने बताया कि, साल 2013-14 में भाजपा नेता किरीट सोमैया ने एक मुहिम चलाई थी जिसमें उन्होंने जनता से आह्वाहन किया था कि हमें INS विक्रांत को बचाना है. जिसके बाद किरीट सोमैया, उनके बेटे नील सोमैया और उनके साथियों ने मिलकर जनता से पैसे इकट्ठा शुरू कर दिया था, इन पैसों से INS विक्रांत की मरम्मत कराई जानी थी. मेरी जानकारी के मुताबिक़ ये पैसे करोड़ों में जमा हुए थे जिसकी जानकारी मुझे न्यूज़ चैनल और अख़बारों से पता चली थी.


उन्होंने आगे कहा कि, INS विक्रांत ने साल 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ चल रही जंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, और ऐसे विक्रांत की मरम्मत की जा रही है यह सुनकर एक पूर्व फ़ौजी होने के साथ-साथ भारतीय नागरिक होने की वजह से मैं काफी खुश था और मुझे भी योगदान देने का मन किया. साल 2013 में किरीट सोमैया, नील सोमैया और उनके दूसरे साथियों ने सफेद रंग की टी-शर्ट पर विक्रांत बचाओ छपवाया था और उनके हाथ में स्टील की पेटी थी जिस पर “युद्ध नौका विक्रांत म्यूज़ियम” लिखा हुआ था. मैंने भी उस समय उस पेटी में 2000 रुपए डाले थे. जिसके बाद मैंने देखा कि विक्रांत का एक एक हिस्सा अलग किया जा रहा है जिसे देखकर मुझे काफ़ी दुख हुआ और साल 2014 में विक्रांत के हर हिस्से को भंगार में करीब 60 करोड़ रुपए में बेच दिया गया.


बता दें कि महाराष्ट्र के राज्यपाल के सचिव से RTI के माध्यम से पूछा गया था कि जो पैसे INS विक्रांत की मरम्मत के लिए इकट्ठा किए गए थे वो कहां गए उसकी जानकारी मांगी गई. जिसके बाद राज्यपाल के ऑफ़िस से जवाब आया कि इस तरह की कोई राशि इस कार्यालय में जमा नहीं की गई है. 


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