नई दिल्ली: राफेल डील पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बीच तीखी बहस के साथ जब कल चर्चा खत्म हुई तो बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने भी कुछ बोलने की इच्छा जताई. संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने स्पीकर से कहा कि आडवाणी कुछ बोलना चाहते हैं. लेकिन स्पीकर ने अनुमति नहीं दी. उन्होंने आडवाणी से कहा कि वो कुछ नहीं बोलें. ध्यान रहे कि सदन को ऑर्डर में रखने की जिम्मेदारी स्पीकर की होती है. स्पीकर को यह अधिकार है कि वह किस सदस्य को कब बोलने का मौका दे.


इससे पहले राफेल पर सरकार और विपक्ष के बीच सियासी नोकझोंक हुई. फ्रांस की विमान विनिर्माता कंपनी दसॉ के साथ हुए सौदे पर लोकसभा में बहस के दौरान करीब ढाई घंटे तक दिए जवाब में उन्होंने कहा, "बोफोर्स एक घोटाला था, लेकिन राफेल राष्ट्रहित में लिया गया फैसला था. राफेल से मोदी को नए भारत के निर्माण और भ्रष्टाचार मिटाने में मदद मिलेगी."


रक्षामंत्री ने कहा कि रक्षा सौदे और रक्षा में सौदे के बीच अंतर है. उन्होंने कहा, "हमने राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए रक्षा में सौदा किया." उन्होंने कहा कि पहला राफेल जेट विमान इस साल सितंबर में आएगा और बाकी 35 विमान 2022 तक मिल जाएंगे.


निर्मला ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह एचएएल (हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड) के लिए घड़ियाली आंसू बहाती है. उन्होंने कहा, "कांग्रेस सरकार ने एचएएल को 53 बार छूट दी, जबकि हमने एक लाख करोड़ रुपये का ठेका दिया."


जिसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पलटवार किया. राहुल ने कहा कि जब उन्होंने रक्षामंत्री से पूछा कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रक्षा सौदे में बदलाव किए जाने पर वायुसेना ने आपत्ति जताई थी? तो वह उस सवाल को टाल गईं. उन्होंने कहा कि जिस रक्षा सौदे पर पिछले आठ सालों से बातचीत चल रही थी, उसे प्रधानमंत्री ने महज दो मिनट में बदल दिया.


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