नई दिल्ली: विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खराब प्रदर्शनों और प्रधानमंत्री बनाए जाने की उठी मागों के बाद से बीजेपी के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी अपने बयानों की वजह से सुर्खियां बटोर रहे हैं. वे लगातार राजनीतिक इतिहास, नौकरशाही, नेतृत्व, बेरोजगारी और आरक्षण जैसे मसलों पर खुलकर राय रख रहे हैं. पिछले दिनों गडकरी के ऐसे बयान भी आए जो सरकार को असहज करने वाले थे. यही वजह है कि उनकी टिप्पणी को खूब तवज्जो मिल रही है.


नितिन गडकरी ने कल ही पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तारीफ की. बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ''हमारे देश को इंदिरा गांधी जैसे सक्षम नेता मिली, जो कई पुरुष नेता से आगे थी. उन्हें कभी आरक्षण की जरूरत नहीं पड़ी.'' गडकरी महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर बोल रहे थे.


उन्होंने कहा कि औरतों आरक्षण मिलना चाहिए और वह इसका विरोध नहीं करेंगे. लेकिन, कोई भी शख्स जाति, धर्म, भाषा या लिंग के आधार पर ऊंचाई हासिल नहीं कर सकता. यह सिर्फ ज्ञान के आधार पर ही हासिल किया जा सकता है. नितिन गडकरी ने पिछले दिनों देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के बयानों का जिक्र किया था.


उन्होंने 24 दिसंबर को कहा था, ''जवाहरलाल नेहरू अक्सर कहा करते थे कि इंडिया इज नॉट ए नेशन, इट इज ए पॉपुलेशन (भारत एक देश नहीं बल्कि एक पूरी आबादी है). दूसरी बात कहते थे इस देश का हर व्यक्ति एक प्रश्न है, एक समस्या है. उनकी ये बात मुझे बहुत पसंद है. मैं इतना तो कर सकता हूं कि मैं देश के सामने समस्या नहीं रहूंगा तो भी आधे प्रश्न सुलझ जाएंगे. मेरे से किसी ने अन्याय किया होगा लेकिन मैं उसके साथ अन्याय नहीं करूंगा.'' ध्यान रहे कि बीजेपी नेहरू और इंदिरा दोनों पर अक्सर निशाना साधती रही है. खुद प्रधानमंत्री आलोचना करते रहे हैं.


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कल बीजेपी के सहयोगी दल शिवसेना के सांसद संजय राउत ने दावा किया था कि देश 'खंडित जनादेश' की तरफ बढ़ रहा है और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ऐसी स्थिति का 'इंतजार' कर रहे हैं. राउत ने कहा, ''बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता आगामी चुनावों में पार्टी के संभावित खराब प्रदर्शन को लेकर चिंतित हैं, लेकिन नितिन गडकरी के बयान इस बात के संकेत हैं कि हवा किस तरफ बह रही है. गडकरी जैसे नेता की आरएसएस और बीजेपी नेताओं के बीच बराबर स्वीकार्यता है.''


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